हिसार: हरियाणा की गाय और भैंसों की डिमांड सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में है. यहां के रिसर्च सेंटर्स गाय और भैंस पर प्रशिक्षण कर हरियाणा का नाम विश्व में रौशन कर रहे हैं. एक तरफ जहां करनाल एनडीआरआई के वैज्ञानिकों ने मुर्रा नस्ल को इजाद कर पूरी दुनिया से तारीफ हासिल की है. दूसरी तरफ हरियाणा की इस शोहरत पर अब हिसार के गांव चौधरीवास में मौजूद बोवाइन स्पर्म सेंटर चार चांद लगा रहा है.
ये रिसर्च सेंटर अपनी खूबियों के चलते भारत सरकार के पशु पालन, डेयरिंग और मछली पालन मंत्रालय की ओर से लगातार दूसरी बार ए ग्रेड हासिल कर चुका है. बता दें कि ये ऐसी पहला निजी स्पर्म सेंटर है जिसे दूसरी बार ए ग्रेड मिला है. सेंटर की गुणवत्ता का पता इसी से लगाया जा सकता है कि यहां से श्रीलंका और नेपाल को सीमन एक्सपोर्ट किया जाता है. कुछ औपचारिकता के बाद ये भारत से सीमन एक्सपोर्ट करने वाला पहला रिसर्च सेंटर बन जाएगा.
रिसर्च सेंटर को मिल चुका है 'A' ग्रेड
पशु पालन, डेयरिंग मंत्रालय की तरफ से बोवाइन स्पर्म सेंटर को यूं ही नहीं ऐ ग्रेड मिला. ये सेंटर भारत के पशु धन को बढ़ावा देने में विशेष भूमिका अदा कर रहा है. ये सेंटर हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, ओडिशा, आंधप्रदेश, राजस्थान को सरकारी रेट पर स्पर्म उपलब्ध करवाता है. इस सेंटर में अच्छी नस्ल के करीब 155 भैंसे और सांड हैं. यहां खासतौर पर मुर्रा झोटे का स्पर्म तैयार किया जाता है. हरियाणा के जाने माने सुलतान, रुस्तम, हिन्द जैसे झोटों का स्मर्म भी यहीं तैयार किया जाता है.
45 से 50 लाख सीमन सालाना होता है स्टोर
सेंटर के डायरेक्टर आशीष जिदंल ने बताया यहां भैंसों और सांडों से सालाना 45 से 50 लाख सीमन की स्ट्रा तैयार की जाती हैं. एक सीमन की स्ट्रा में 2 करोड़ शुक्राणु आते हैं. इन स्ट्रा को नाइट्रोजन की गैस से भरे सिलेंडरों में सुरक्षित रखा जाता है. स्पर्म नाइट्रोजन खत्म नहीं होने पर सालों तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं.