हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (Hisar Agricultural University) के वैज्ञानिकों ने एक ओर उपलब्धि को विश्वविद्यालय के नाम किया है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा अविष्कार की गई मकई का दाना निकालने वाली पेडल ऑपरेटेड मेज सेलर (Pedal Operated Corn Sheller Hisar) को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से डिजाइन पेटेंट मिल गया है. विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मशीन कम जोत वाले किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी, क्योंकि इसकी कीमत बहुत ही कम है. जिससे किसान इस मशीन को आसानी से उपयोग कर सकेगा.
मशीन का अविष्कार महाविद्यालय के प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग के डॉ. विजय कुमार सिंह व सेवानिवृत्त डॉ. मुकेश गर्ग की अगुवाई में किया गया और छात्र इंजीनियर विनय कुमार का भी सहयोग रहा है. इस मशीन के लिए वर्ष 2019 में डिजाइन के लिए आवेदन किया था, जिसके लिए भारत सरकार की ओर से इसका प्रमाण-पत्र मिल गया है. एचएयू के कुलपति बीआर कम्बोज ने कहा कि एचएयू को मिल रही लगातार उपलब्धियां यहां के वैज्ञानिकों द्वारा की जा रही अथक मेहनत का ही नतीजा है. वैज्ञानिकों के इस अविष्कार को भारत सरकार द्वारा डिजाइन दिए जाने पर सभी बधाई के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए बहुत ही गौरव की बात है. उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से भविष्य में भी इसी प्रकार निरंतर प्रयास करते रहने की अपील की है ताकि विश्वविद्यालय का नाम यूं ही रोशन होता रहे.
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रख-रखाव खर्च व लागत कम जबकि कार्यक्षमता अधिक-कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. अमरजीत कालरा के अनुसार इस मशीन की लागत बहुत ही कम है और इसके रख-रखाव का खर्च भी न के बराबर है. इसलिए इसका प्रयोग कम जोत वाले व छोटे किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा. इस मशीन से मक्का का बीज तैयार करने में मदद मिलेगी क्योंकि इसके द्वारा निकाले गए दाने मात्र एक प्रतिशत तक ही टूटते हैं और इसकी प्रति घंटा की कार्यक्षमता भी 55 से 60 किलोग्राम तक की है.