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हरियाणा के वैज्ञानिकों ने बनाया ई-ट्रैक्टर, जानिए कब आएगा मार्केट में

पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. इसका असर एक तरफ आमजन पर पड़ रहा है, तो वहीं किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है. इसी चीज को ध्यान में रखकर हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ई–ट्रैक्टर (E-tractor Agricultural University Hisar) विकसित किया है.

Electric Tractor Haryana
Electric Tractor Haryana

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Published : Oct 20, 2021, 7:57 PM IST

हिसार: डीजल के बढ़ते दाम और खपत को देखते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (Chaudhary Charan Singh Agricultural University Hisar) ने इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर तैयार किया है. ये इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर (Electric Tractor Hisar) 25 हॉर्स पावर के डीजल ट्रैक्टर के बराबर सभी काम कर सकता है. किसानों की सेहत के लिए भी ये ट्रैक्टर काफी लाभदायक है. डीजल के ट्रैक्टर के मुकाबले इस ट्रैक्टर में कंपन कम होती है. जिसकी वजह से किसानों की स्पाइनल कोड में परेशानी नहीं होगी. पर्यावरण के हिसाब से भी ये ट्रैक्टर डीजल के ट्रैक्टर की तुलना में काफी अच्छा है.

इस उपलब्धि के साथ एचएयू हिसार इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर बनाने वाला देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय बन गया है. विश्वविद्यालय के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज ने इस ई-ट्रैक्टर को तैयार किया है. ये टैक्टर 16.2 किलोवाट की बैटरी से चलता है. ट्रैक्टर में लिथियम आयन बैटरी इस्तेमाल की गई है. इसकी क्षमता 20 साल है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर कंबोज ने कहा कि ये ई-ट्रैक्टर 23.17 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है.

हरियाणा के वैज्ञानिकों ने बनाया ई-ट्रैक्टर, जानिए कब आएगा मार्केट में

1.5 टन वजन की ट्रॉली के साथ ये ट्रैक्टर 80 किलोमीटर तक का सफर कर सकता है. उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान के निदेशक डॉक्टर मुकेश जैन ने बताया कि ई-ट्रैक्टर में 16.2 किलोवाट की लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल किया गया है. इस बैटरी को 9 घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है. इसमें फ़ास्ट चार्जिंग का भी विकल्प उपलब्ध है. जिसकी मदद से ट्रैक्टर की बैटरी महज 4 घंटे में चार्ज की जा सकती है.

ये ट्रैक्टर डीजल ट्रैक्टर के मुकाबले 32 प्रतिशत तक सस्ता है. ट्रैक्टर में कंपन और शोर की बात की जाए तो इसमें 52 प्रतिशत कंपन और 20.52 प्रतिशत शोर है. ये दोनों बीआईएस कोड की अधिकतम अनुमेय सीमा से कम पाई गई है. ट्रैक्टर में ऑपरेटर के पास इंजन ना होने के कारण तपिश भी पैदा नहीं होती. जो ऑपरेटर के लिए बिलकुल आरामदायक साबित होगा. इस ट्रैक्टर में लिथियम आयन बैटरी का उपयोग किया गया है. लिहाजा इसकी कीमत लगभग 6.50 लाख अनुमानित है, हालांकि विश्वविद्यालय में इसको लेकर शोध चल रहा है कि इसकी कीमत को कैसे घटाया जा सकता है, क्योंकि सबसे बड़ी लागत इसमें बैटरी की है.

ट्रैक्टर में लिथियम आयन बैटरी इस्तेमाल की गई है.

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ये ट्रैक्टर उन सब यंत्रों के साथ काम कर सकता है जो पहले से छोटे डीजल ट्रैक्टर के लिए खरीदे गए हैं. यानी किसानों को नए यंत्र खरीदने की जरूरत नहीं है. डीजल के बढ़ते हुए दामों को देखते हुए य् ट्रैक्टर किसानों के लिए काफी किफायती साबित हो सकता है. इससे किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा. इस ट्रैक्टर का नाम विकास ग्रीन रखा गया है. बरनाला की एक कंपनी के सहयोग से इसे डिवलेप किया गया है. ये कंपनी करीब 6 महीने बाद इस ट्रैक्टर को किसानों के लिए मार्केट में लेकर आएगी.

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