हिसार: हरियाणा में मानसूनी हवाएं ( monsoon delay) आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर एमएल खीचड़ ने बताया कि मानसूनी हवाएं 19 जून से बाड़मेर, भीलवाड़ा, धौलपुर, अलीगढ़, मेरठ, अंबाला और अमृतसर पर ही बनी हुई हैं. अगर यही स्थिति रही तो अभी हरियाणा वासियों को मानसून के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है.
जानकारी देते हुए मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि अभी मानसूनी हवाओं को आगे बढ़ने के लिए स्थिति अनुकूल नहीं बनी है क्योंकि पश्चिम विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) की वजह से पश्चिमी हवाएं काफी ज्यादा ऊंचाई पर चल रही हैं. उन्होंने अनुमान जताया कि अगले 5 से 7 दिन बाद ही अनुकूल परिस्थितियां बनने के बाद ही मानसून आगे बढ़ सकता है.
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वहीं मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि हरियाणा में 2 जुलाई तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील लेकिन खुश्क बना रहेगा और इसके बाद ही मानसून आगे बढ़ने की संभावना है. ऐसे में 2 जुलाई तक हरियाणा में गर्मी भी बढ़ेगी. हालांकि इस दौरान तापमान बढ़ने के साथ बीच-बीच में आंशिक बादल और धूल भरी हवाएं चलने की संभावना है.
इस कारण नहीं बढ़ पा रही मानसूनी हवाएं
दरअसल, मानसून की उत्तरी सीमा 19 जून को बाड़मेर, भीलवाड़ा, धौलपुर, अलीगढ़, मेरठ, अंबाला, अमृतसर तक पहुंची थी, लेकिन इसके बाद आगे नहीं बढ़ पाई. पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) की वजह से ऊपरी सतह की ज्यादा ऊंचाई वाली पश्चिमी हवाओं के चलने से बंगाल की तरफ से नमी वाली पुरवाई मानसूनी हवाओं की सक्रियता कम हो गई है. मानसून टर्फ उत्तर में ऊपर हिमालय की तरफ बढ़ने के कारण मानसूनी हवाएं हरियाणा की तरफ नहीं बढ़ पा रही हैं. मानसूनी हवाओं की सक्रियता के लिए अनुकूल परिस्थितियां अगले चार-पांच दिनों के बाद ही बनने की संभावना है.
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वहीं पश्चिमी विक्षोभ ((वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) के आंशिक प्रभाव के कारण राजस्थान के ऊपर बने एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन से हरियाणा के उत्तरी और दक्षिण पाश्चिमी क्षेत्रों में 26 जून तक धूलभरी हवायों और गरजचमक के साथ कहीं बूंदाबांदी और कहीं हल्की बारिश दर्ज की जा सकती है.
किसान बरसें ये सावधानियां-
- नरमा/कपास और सब्जियों के खेतों में जरूरत के हिसाब से निराई-गुड़ाई कर नमी संचित करें
- वातावरण में नमी ज्यादा होने के कारण नरमा/कपास और सब्जियों में कीटों और रोगों का प्रकोप हो सकता है. इन फसलों की लगातार निगरानी करते रहें. अगर कहीं प्रकोप दिखाई दे तो दवाइयों का स्प्रे करें
- ग्वार, बाजरा और अन्य खरीफ फसलों के लिए खेत तैयार कर उत्तम किस्मों के बीजों का प्रबंध करें. उचित नमी उपलब्ध हो तो बिजाई शुरू करें. बिजाई से पहले बीज का उपचार अवश्य करें
- धान लगाने के लिए अच्छी तरह से खेत तैयार करें. पानी उपलब्ध होने पर धान लगाना शुरू करें
- अगर नर्सरी में पीलापन आए तो 0.5% जिंकसल्फेट, 0.5% फेरससल्फेट और 2.5% यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करें. ये छिड़काव जरूरत के हिसाब से अगले 4 से 5 दिन तक दोहराएं