हिसार: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी देश का बजट 2022 पेश करने जा रही है. केंद्रीय बजट को लेकर कोरोना महामारी के संकट से उबर रही अर्थव्यवस्था में हर सेक्टर की अपनी-अपनी मांगे हैं. इस संकट ने पूरी दुनिया में आर्थिक सुस्ती का माहौल ला दिया है. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है. भारत में इस महामारी की वजह बहुत से छोटे उद्योग बंद हो गए और कई लोग बेरोजगार हो गए है. अब इस बजट से हर वर्ग के लोगों को उमीदें है, लेकिन हरियाणा के किसानों को क्या उम्मीदें (Farmer expectations from Union Budget) हैं ? यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से और कृषि से जुड़े हुए कई अनुभवी लोगों से बात की.
गौरतलब है कि साल 2021 में कृषि कानूनों की वजह से किसानों की भारी नाराजगी का सामना करने के बाद अब केंद्र सरकार किसानों को खुश करने की कोशिश कर सकती है. उम्मीद है कि बजट 2022 में किसानों को लेकर कई बड़े एलान भी किए जा सकते हैं. बता दें कि भाजपा सरकार आने से पहले कृषि बजट लगभग 22 हजार करोड़ रुपये का होता था. 2014-15 में जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तो कृषि मंत्रालय को 31 हजार 63 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. वहीं 2018-19 में कृषि मंत्रालय को 79 हजार 26 करोड़ रुपये का संशोधित बजट दिया. 2019-20 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को ऐतिहासिक 1 लाख 30 हजार 485 करोड़ रुपये का आवंटन मिला था. जबकि वर्ष 2021-22 में 1 लाख 60 हजार करोड़ का अनुमानित आवंटन दिया गया था.
बजट से उम्मीद को लेकर किसान ने कहा कि किसानों को समय पर फसलों में नुकसान होने पर उचित मुआवजा मिलना चाहिए, इसके लिए बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए. इसके साथ ही फसलों के एमएसपी रेट भी बढ़ाए जाने चाहिए, खाद की किसानों को समय पर विशेष जरूरत होती है, लेकिन प्रदेश में खाद की बड़ी किल्लत चल रही है. जिससे किसानों को फसल में बड़ा नुकसान होगा. किसानों की मांग है कि इसके लिए बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि खाद जरूरत अनुसार स्टॉक रखा जाए.
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जिससे किसानों को जरूरत होने पर उसे गांव में ही खाद मिल जाए और जगह-जगह धक्के ना खाने पड़े. किसानों ने कहा कि हमेशा बजट में किसानों की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है. पहले कांग्रेस की सरकार थी तब भी यही हाल था और अब देखते हैं बजट में क्या रहेगा यह देखेंगे. किसान सत्यवीर ने बजट को लेकर कहा कि सरकार को कृषि में उपयोग होने वाले पेस्टिसाइड, बीज खाद और मशीनरी आदि के दामों पर कंट्रोल करना चाहिए. दिन-ब-दिन किसान के जरूरत की समान महंगे होते जा रहे हैं. किसानों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज मिलना चाहिए जिससे किसान खेती में अपना उत्पादन बढ़ा सकें.