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UNION BUDGET 2022: केंद्रीय बजट को लेकर हरियाणा के किसानोंं को हैं खास उम्मीदें, MSP के मुद्दे पर की ये बड़ी बात

एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने वाली हैं. कोरोना महामारी के दौर में केंद्रीय बजट को लेकर हर किसी ने बड़ी उम्मीदें लगाई हुई है. ऐसे में हरियाणा के किसानों ने भी बजट को लेकर उम्मीदें (Farmer expectations from Union Budget) जताई है.

Farmer expectations from Union Budget
Farmer expectations from Union Budget

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Published : Jan 27, 2022, 8:14 PM IST

हिसार: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी देश का बजट 2022 पेश करने जा रही है. केंद्रीय बजट को लेकर कोरोना महामारी के संकट से उबर रही अर्थव्यवस्था में हर सेक्टर की अपनी-अपनी मांगे हैं. इस संकट ने पूरी दुनिया में आर्थिक सुस्ती का माहौल ला दिया है. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है. भारत में इस महामारी की वजह बहुत से छोटे उद्योग बंद हो गए और कई लोग बेरोजगार हो गए है. अब इस बजट से हर वर्ग के लोगों को उमीदें है, लेकिन हरियाणा के किसानों को क्या उम्मीदें (Farmer expectations from Union Budget) हैं ? यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से और कृषि से जुड़े हुए कई अनुभवी लोगों से बात की.

गौरतलब है कि साल 2021 में कृषि कानूनों की वजह से किसानों की भारी नाराजगी का सामना करने के बाद अब केंद्र सरकार किसानों को खुश करने की कोशिश कर सकती है. उम्मीद है कि बजट 2022 में किसानों को लेकर कई बड़े एलान भी किए जा सकते हैं. बता दें कि भाजपा सरकार आने से पहले कृषि बजट लगभग 22 हजार करोड़ रुपये का होता था. 2014-15 में जब एनडीए सरकार सत्ता में आई तो कृषि मंत्रालय को 31 हजार 63 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. वहीं 2018-19 में कृषि मंत्रालय को 79 हजार 26 करोड़ रुपये का संशोधित बजट दिया. 2019-20 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को ऐतिहासिक 1 लाख 30 हजार 485 करोड़ रुपये का आवंटन मिला था. जबकि वर्ष 2021-22 में 1 लाख 60 हजार करोड़ का अनुमानित आवंटन दिया गया था.

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बजट से उम्मीद को लेकर किसान ने कहा कि किसानों को समय पर फसलों में नुकसान होने पर उचित मुआवजा मिलना चाहिए, इसके लिए बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए. इसके साथ ही फसलों के एमएसपी रेट भी बढ़ाए जाने चाहिए, खाद की किसानों को समय पर विशेष जरूरत होती है, लेकिन प्रदेश में खाद की बड़ी किल्लत चल रही है. जिससे किसानों को फसल में बड़ा नुकसान होगा. किसानों की मांग है कि इसके लिए बजट में प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि खाद जरूरत अनुसार स्टॉक रखा जाए.

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जिससे किसानों को जरूरत होने पर उसे गांव में ही खाद मिल जाए और जगह-जगह धक्के ना खाने पड़े. किसानों ने कहा कि हमेशा बजट में किसानों की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है. पहले कांग्रेस की सरकार थी तब भी यही हाल था और अब देखते हैं बजट में क्या रहेगा यह देखेंगे. किसान सत्यवीर ने बजट को लेकर कहा कि सरकार को कृषि में उपयोग होने वाले पेस्टिसाइड, बीज खाद और मशीनरी आदि के दामों पर कंट्रोल करना चाहिए. दिन-ब-दिन किसान के जरूरत की समान महंगे होते जा रहे हैं. किसानों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज मिलना चाहिए जिससे किसान खेती में अपना उत्पादन बढ़ा सकें.

केंद्रीय बजट को लेकर हरियाणा के किसानोंं को हैं खास उम्मीदें

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किसान नेता शमशेर नंबरदार ने कहा कि किसानों की प्रधानमंत्री योजना के तहत दी जाने वाली 6 हजार सालाना सहायता राशि 'ऊंट के मुंह में जीरा' के समान है. महंगाई के इस दौर में इतने रुपये में किसान को क्या मिल सकता है. किसान नेता ने कहा कि हमारी सरकार से यह मांग है कि किसानों को किसानों के उपयोग में होने वाले डीजल (जोकि ट्रैक्टर चलाने, स्प्रे, बिजाई, सिंचाई सब कार्य में प्रयोग होता है) पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाए. इसके अलावा किसानों को फसल खराब होने पर 50 हजार प्रति एकड़ मुआवजा मिलना चाहिए. हमारी सरकार से यह मांग है कि किसान को 5 हजार प्रति महीने पेंशन मिलनी चाहिए.

वहीं कृषि व्यवसाय के एक्सपर्ट बलराज सिंह ने बताया कि बजट में हर सेक्टर में खर्च करने के लिए सीमा निर्धारित की जाती है, पैसे का बंटवारा किया जाता है कि कहां क्या खर्च किया जाएगा. इसी कड़ी में किसानों के लिए भी पूंजी रखी जाती है, लेकिन आज के दौर में जो किसान है उनकी उत्पादन की लागत बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है. किसानों की कर्ज के लिए उस हिसाब से पैसे आवंटित करने चाहिए ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा लोन मिल सके और वह पारंपरिक खेती को छोड़कर उत्तम व नई तकनीक की खेती की तरफ बढ़ सके.

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बलराज सिंह ने कहा कि जब किसान की जेब में पैसे होंगे तो दूसरे सेक्टर में भी इजाफा होगा. पिछली बार सरकार ने बजट में किसानों के कर्ज के लिए 16.50 लाख करोड़ रुपए निर्धारित किए थे, लेकिन आज महंगाई के दौर में यह किसानों के लिए काफी कम है. इसलिए सरकार को इसे बढ़ाकर 20 से 25 लाख किया जाना चाहिए. जिससे किसान अच्छी तरीके से उत्तम खेती कर सके और देश में खाद्यान्न का बढ़ावा हो सके. इसके साथ-साथ किसानों के लिए खाद, बीज, किसानी उपकरण मशीनें, बिजली सप्लाई व डीजल खरीद पर किसानों को विशेष रियायत दी जाए ताकि किसानों की लागत कम हो सके.

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