हिसार: राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में सरस्वती और दृषद्वती नदियों के शुष्क क्षेत्र में स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है. पुरातत्व वैज्ञानिकों ने हरियाणा स्थित राखीगढ़ी की खोज 1963 ईस्वी में की थी. विश्व विरासत कोष की मई 2012 रिपोर्ट में 'खतरे में एशिया के विरासत स्थल' के अनुसार 10 स्थानों को चिन्हित किया गया था. रिपोर्ट में इन 10 स्थानों को 'अपूरणीय क्षति एवं विनाश' के केंद्र कगार दिया गया है. इसमें हरियाणा में स्थित राखीगढ़ी भी शामिल है.
भारतीय पुरातत्व विज्ञान ने राखीगढ़ी में खुदाई कर एक पुराने शहर का पता लगाया था और तकरीबन 5000 साल पुरानी कई वस्तुएं बरामद की थी. राखीगढ़ी में लोगों के आने-जाने के लिए बने हुए मार्ग, जल निकासी की प्रणाली, बारिश का पानी एकत्र करने का विशाल स्थान, कांसा सहित कई धातुओं की वस्तुएं मिली थी.
डेक्कन कॉलेज विश्वविद्यालय पुणे के स्कॉलर योगेश यादव ने बताया कि राखीगढ़ी में सन 1997 में टीलों की खुदाई का काम शुरू किया गया. यह साइट 550 हेक्टेयर में फैली हड़प्पा संस्कृति की क्षेत्रफल के अनुसार सबसे बड़ी साइट है. इस साइट पर 9 टीले हैं, जिनमें से 3 टीलो पर खुदाई अभी तक हुई है. खुदाई किए हुए तिलों में टीला नंबर 2 को मैन्युफैक्चर हब माना गया है. यहाँ से काफी मात्रा में मनके मिले हैं. खुदाई के दौरान पुरानी दीवार, मिट्टी के मनके, मिट्टी की चूड़ियां, धातु की चूड़ियां, धातु के मनके, अनाज के गोदाम, पानी की निकासी का सिस्टम, खिलौने, पत्थर के मनके, पुराने बर्तन आदि मिले हैं.
विश्व की सबसे बड़ी ऐतिहासिक साइट है राखीगढ़ी
उन्होंने बताया कि यहां मिले साक्ष्यों से पता चला है कि यह लगभग 5000 साल पुरानी सभ्यता है. राखीगढ़ी साइट की विश्व की सभी पांच ऐतिहासिक साइटों में सबसे बड़ी है. राखीगढ़ी की खुदाई में सबसे बड़ी सफलता नर कंकालों का जोड़ा मिलना है.योगेश यादव ने बताया कि राखीगढ़ी देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 130 किलोमीटर दूर है. यहां पर आईकॉनिक म्यूजियम बनने से यहां पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने के साथ-साथ वह राखीगढ़ी की खुदाई में निकलने वाली वस्तुओं को देख सकेंगे.
गौरतलब है कि राखीगढ़ी का उत्खनन व्यापक पैमाने पर 1997- 1999 ईस्वी के दौरान अमरेंद्र नाथ द्वारा किया गया. राखीगढ़ी से प्राक हड़प्पा एवं परिपक्व हड़प्पा इन दोनों कालों के प्रमाण मिले हैं. राखीगढ़ी से महत्वपूर्ण स्मारक एवं पुरावशेष प्राप्त हुए हैं. जिनमें दुर्ग प्राचीर, अनाज भंडारण, स्तंभ युक्त विधि या मंडप जिसके पार्श्व में कोठरिया भी बनी हुई है. ऊंचे चबूतरे पर बनाई गई अग्रि वेदिकाएं आदि मुख्य हैं.