हिसार: लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (Haryana Agricultural University) की पहल कारगर साबित हो रही है. बेरोजगारी की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए विश्वविद्यालय युवाओं और महिलाओं को फ्री ट्रेनिंग दे रहा है, ताकि ये लोग अपना खुद का रोजगार (Self-Reliance training) स्थापित कर सकें और आसपास के क्षेत्र में अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकें. यहां खेती से जुड़े युवाओं को भी ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि कृषि क्षेत्र में वो नई तकनीकों को अपनाकर अपनी इनकम बढ़ा सकें.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (Haryana Agricultural University) में स्थापित सायना नेहवाल ट्रेनिंग सेंटर (Saina Nehwal Training Center) में युवाओं के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग आयोजित की जाती है. इस ट्रेनिंग में मधुमक्खी पालन, ट्रैक्टर ऑपरेटर, ट्रैक्टर मैकेनिक, मशरूम प्रोडक्शन और महिलाओं के लिए विशेष तौर पर फूड प्रोसेसिंग, अचार बनाना, जैम बनाना, जैली बनाना, टेलरिंग और कटिंग साथ बाजरे के उत्पाद बनाना सिखाया जाता है. ट्रेनिंग सेंटर सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं दी जाती, बल्कि युवाओं को उनके काम को शुरू करने में सहायता भी की जाती है.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हरियाणा की ये यूनिवर्सिटी, देखें वीडियो खास तौर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं को वित्तीय सहायता के साथ मशीनें भी उपलब्ध करवाई जाती है. सायना नेहवाल ट्रेनिंग सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर एके गोदारा ने बताया ट्रेनिंग के लिए सालाना कैलेंडर के अनुसार विश्विद्यालय द्वारा आवेदन मांगे जाते हैं. उसके बाद आवेदकों की संख्या के हिसाब से ट्रेनिंग बैच चलाए जाते हैं.
ये भी पढ़ें- युवाओं को बंपर नौकरी देने के लिए सरकार का मेगा प्लान, हर साल लगेंगे 200 रोजगार मेले
यहां ट्रेनिंग पूर्ण रूप से फ्री होती है और जो लोग बाहर से ये ट्रेनिंग देने के लिए आते हैं. उन्हें रुकने के लिए किसान हॉस्टल भी बनाए गए हैं. इसमें मात्र ₹40 देकर किसान या ट्रेनिंग लेने वाला व्यक्ति रुक सकता है. कृषि विश्वविद्यालय का होम साइंस विभाग भी गांव-गांव जाकर महिलाओं को विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण देता है. गृह विज्ञान विभाग में प्रोफेसर संगीता चहल ने बताया कि अभी कोरोना की वजह से डिपार्टमेंट में ट्रेनिंग बंद है, लेकिन हम गांव में जाकर महिलाओं को सिखा रहे हैं.
विश्विद्यालय में युवाओं को भी दी जाती है ट्रेनिंग महिलाओं को बाजरे के बिस्किट, बाजरे के लड्डू बनाने सिखाए जाते हैं. ट्रेनिंग के साथ ही उन्हें कैसे उनकी मार्केटिंग करनी है. ये भी हम सिखाते हैं. काम शुरू करने के लिए लोन कैसे मिलेगा. इसके लिए सहायता उपलब्ध करवाई जाती है. प्रोफेसर संगीता ने बताया कि तरह-तरह के उत्पाद बनाने लिए एडवांस ट्रेनिंग के लिए मशीनें भी विभाग में उपलब्ध हैं. जिनके साथ यहां समय-समय पर ट्रेनिंग करवाई जाती है.
महिलाओं को बाजरे से लड्डू बनाना सिखाया जाता है. जो लोग यहां ट्रेनिंग लेकर अपना काम शुरू करना चाहते हैं, उनके साथ विश्वविद्यालय एमओयू साइन करता है, जिसके तहत वित्तीय और तकनीकी सहायता भी उपलब्ध करवाई जाती है. विश्वविद्यालय की ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए प्रेरित भी किया जाता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा इस परियोजना की फंडिंग की जाती है. जिसका उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ाना एवं लैंगिक भेदभाव को मिटाना है.
महिलाओं को बाजरे से बिस्कुट बनाना सिखाया जाता है इस प्रशिक्षण में महिलाओं को खाद्य पदार्थों के प्रशिक्षण के साथ-साथ लघु उद्योग स्थापित करने के विभिन्न तरीकों से परिचित करवाया जाता है. साथ ही लघु उद्योग स्थापित करने के लिए लोन व अन्य वित्तीय प्रबंध करने के लिए भी मार्गदर्शन किया जाता है. बाजरे की फसल पौष्टिक तत्वों से भरपूर और सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. जो कम पानी के इलाके में भी अच्छे पैदावार देती है. वर्तमान समय में इसका खाद्य उपयोग बहुत ही कम होता जा रहा है.
सिलाई की ट्रेनिंग के साथ उन्हें रोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है. ये भी पढ़ें- वाह 'गुरु'! ना सरकारी मदद, ना डोनेशन, खुद की सैलरी से तैयार कर रहे राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी
बाजरा के संबंधित खाद्य पदार्थों का उत्पादन कृषि विद्यालय विश्वविद्यालय से सीखने के बाद हिसार के ही अनुराग शर्मा ने इससे संबंधित एक कंपनी स्थापित की और सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं को मैन पावर के लिए जोड़ा और अब ये महिलाएं सकुशल रूप से बाजरे के बिस्किट लड्डू व अन्य उत्पाद बनाकर सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए मार्केट में बेच रही हैं. सरकारी विभाग भी इन्हें निशुल्क स्टॉल व मार्केटिंग के लिए उपलब्ध करवाते हैं.
हुनर बूथ के जरिए अपना हुनर निखार रही महिलाएं जिला लघु सचिवालय में भी हुनर बूथ के जरिए ये महिलाएं अपने उत्पाद बेच रही हैं. सेल्फ हेल्प से ग्रुप से जुड़ी महिला सुमन ने बताया कि हम बाजरे से संबंधित बिस्कुट और अन्य चीजें बनाकर उसे शहर में उसे बेचते हैं. जिससे वो अपना रोजगार चला रहे हैं. आर्यनगर और मंगाली में बाजरे के उत्पाद की यूनिट लगाई गई है. इन यूनिट में सामान तैयार करके शहर में इसे बेच दिया जाता है. इससे होने वाले लाभ को सभी महिलाओं में बांटा जाता है.
ये भी पढ़ें- हरियाणा के ये IAS अधिकारी सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे अपने बच्चे, जानिए क्या है वजह
कृषि विश्वविद्यालय के साइना नेहवाल ट्रेनिंग सेंटर से सिलाई और कटिंग सीखकर अपना बुटीक स्थापित करके रोजगार चला रही मोनिका ने बताया कि उसने 5 दिन की ट्रेनिंग ली थी. इसके बाद विभाग की तरफ से ही उन्हें एडवांस मशीन उपलब्ध करवाई गई. ट्रेनिंग में हमें सिखाया गया कि कैसे मार्केटिंग करनी है और किस तरह से खुद के काम को आगे बढ़ाना है. ट्रेनिंग के बाद मैंने अपना काम शुरू किया जो धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. अब मैं खुद भी अन्य लड़कियों को ट्रेनिंग देने के लिए बाल भवन जाती हूं और मेरे बुटीक में भी मेरे पास कई महिलाएं काम सीख रही हैं.