हिसार: हरियाणा में गेहूं की फसल खरीद जारी है, लेकिन इसी बीच किसानों के लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई है. सभी किसानों की फसल की पैदावार औसत से 10 से 12 मण यानी 2 से 3 क्विंटल तक कम (Reduction in wheat production in Haryana) हुई है. किसानों ने इसके पीछे बिजाई के समय पर डीएपी खाद का न मिलना और सिंचाई के समय यूरिया खाद की कमी को सबसे बड़ा कारण बताया है. जिसके चलते किसानों की फसल पैदावार में काफी हद कर कमी देखने को मिली है.
गौरतलब है कि हरियाणा में रबी के सीजन में प्रमुख फसल गेहूं बोई जाती है और गेहूं की फसल में बिजाई के समय डीएपी खाद की जरूरत होती है. डीएपी खाद गेहूं के बीज के साथ मिलाकर ही बिजाई की जाती है. उसके बाद जैसे ही गेहूं में सिंचाई के दौरान जनवरी और फरवरी में यूरिया खाद डाला जाता है. ताकि गेहूं के पौधे कमजोर ना हो और उनका पोषण ठीक तरीके से हो. अगर समय पर यूरिया खाद व अन्य पोषक तत्व नहीं दिए जाते तो पौधा कमजोर रहता है. उसके बाद जब गेहूं की बालियां तैयार होने लगती है, तो वह भी स्वस्थ और पूरी तरीके से दाने तैयार नहीं कर पाती, ऐसे में पैदावार बहुत कम होती है और गेहूं के दानों का वजन और साइज कम रह जाता है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए किसान रोहताश ने बताया कि इस बार उन्होंने 5 एकड़ में गेहूं की फसल की बिजाई की थी और महज 45 मण प्रति एकड़ की पैदावार हुई है, जबकि पिछली बार 55 मण गेहूं प्रति एकड़ की पैदावार हुई थी. रोहताश ने बताया बिजाई के टाइम पर हमें भरपूर मात्रा में डीएपी खाद नहीं (shortage of DAP and urea in Haryana) मिली. जिसके चलते समय पर बिजाई नहीं कर सके और लेट होता दिखा, तो एनपीके व अन्य खाद के जरिए बिजाई की गई, उसके बाद जब सिंचाई का टाइम आया तो फिर यूरिया खाद नहीं मिली. जिससे लगभग सभी किसानों को 2 से 3 क्विंटल प्रति एकड़ का नुकसान हुआ है.