हिसार: दुनिया आधुनिकीकरण की तरफ अग्रसर होती जा रही है. आज के युग में हर प्रकार के कार्यों में आधुनिकता लाने के लिए नई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है. ऐसे में किसानों का रूझान भी परंपरागत खेती से हटकर नई तकनीकों और उन्नत खेती की तरफ बढ़ता जा रहा है. नई तकनीकों को अपनाकर किसान ना सिर्फ खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. साथ ही साथ अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. ऐसे ही हिसार के सलेमगढ़ गांव के किसान विकास ने (mushroom farming in hisar) आधुनिक तकनीक और अपने आइडिया को मिलाकर मशरूम की खेती (Mushroom farming) का व्यवसाय शुरू किया है.
इन्होंने अपना व्यवसाय तो शुरू किया ही है, इसके साथ ही अन्य किसानों के लिए मशरूम की खेती करने के लिए नई राह भी तैयार कर दी. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान किसान विकास ने बताया कि वो 2016 से मशरूम की खेती कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने सोचा कि क्यों ना कुछ ऐसा करूं जिससे सभी किसान मशरूम उगा सकें और मेरा भी कुछ मुनाफा हो. उसके बाद विकास ने साल 2019 में मशरूम की खेती का सबसे मुश्किल काम कंपोस्ट तैयार करना बड़े स्केल पर शुरू कर दिया.
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उसके बाद विकास इन्हें 10-10 किलो के बैग में भरकर बेचने लगा. अब सालाना विकास 40 हजार बैग मशरूम के बीज लगाकर बेचता है. जिसे अन्य किसान खरीदते हैं और अपने घर में बिना किसी ज्यादा मेहनत के एक कमरे में भी मशरूम की खेती कर सकते हैं. अपने इस आइडिया से विकास ने सालाना 60 लाख टर्नओवर की कंपनी खड़ी कर ली है, और कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. विकास ने बताया कि मशरूम की खेती में बहुत कम किसान रूचि रखते थे. जिसकी मुख्य वजह थी कंपोस्ट तैयार करना. जब हमने ग्राउंड पर जाकर किसानों से बातचीत की तो पता लगा कि किसानों को कंपोस्ट तैयार करना समझ नहीं आ रहा है. जिसके चलते वो सही से मशरूम की फसल नहीं उगा पाते.
मशरूम कंपोस्ट के बैग को पैक करते लोग इसके बाद बड़ा सोचकर सभी किसानों के लिए इस समस्या का हल निकाला और मैंने खुद कंपोस्ट तैयार करके उसमें बीज लगाकर और अन्य प्रक्रिया जैसे केसिंग करके 10 किलो का एक बैग किसानों को देना शुरू किया. इसके बाद किसानों को सिर्फ इसका सही रखरखाव कर मशरूम तोड़नी होती है और कोई मेहनत नहीं होती. इससे किसानों की समस्या का समाधान भी हो गया और मेरे लिए दूसरा आय का स्त्रोत खड़ा हो गया. शुरुआत में तो किसानों को पता नहीं था, लेकिन उसके बाद अगले साल इतने आर्डर आए कि हम पूरा नहीं कर सके, क्योंकि इसके लिए सितंबर माह में ही तैयारी शुरू करनी पड़ती है.
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इस तरह से तैयार बैग मिलने के बाद किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ बढ़ने लग गया और अब हमारे पास मशरूम फार्मिंग के लिए काफी ऑर्डर आते हैं. उन्होंने बताया कि अब उनके पास चंडीगढ़, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान के बड़े-बड़े शहरों से लोग मशरूम बैग अपने घर के लिए लेने आते हैं और घर पर मशरूम तैयार करके खाते हैं.
मशरूम कंपोस्ट तैयार करते हुए किसान विकास विकास ने कंपनी को बिना किसी बड़ी रकम के छोटे से स्तर शुरू करके अब सालाना 60 लाख का टर्नओवर तक पहुंच दिया है. देश के अलग-अलग राज्यों से किसान विकास के साथ जुड़े हुए हैं और उससे मशरूम बैग लेकर मशरूम की खेती (Mushroom farming) करते हैं. कोई भी किसान अगर मशरूम फार्मिंग करने के इच्छुक हैं तो विकास उन्हें फ्री ट्रेनिंग भी उपलब्ध करवाते हैं. इसके अलावा अगर देश भर में कोई किसान उनसे मशरूम बैग खरीदना चाहता है, तो विकास उन्हें ट्रांसपोर्ट के जरिए पूरे देश भर में भिजवाते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि देश के बाकी किसान भी विकास से प्रेरणा लेंगे और इसी तरह खेती करके अच्छा मुनाफा कमाएंगे
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