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चमोली आपदा: 8 महीने की वो गर्भवती 'मसीहा', जिसने 48 घंटे बिना सोए 12 मजदूरों को बचाया

डॉ. ज्योति अपनी डिलीवरी के लिए हिसार अपने घर जाना चाहती थीं, लेकिन इससे पहले की वो घर आ पाती चमोली में आपदा आ गई. जिस वजह से डॉ. ज्योति ना सिर्फ चमोली में रहीं, बल्कि उन्होंने तीन दिन बिना सोए घायलों का इलाज किया और इस दौरान उन्होंने 12 मजदूरों की जान भी बचाई.

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8 महीने की वो गर्भवती 'मसीहा', जिसने 48 घंटे बिना सोए 12 मजदूरों को बचाया

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Published : Feb 15, 2021, 5:47 PM IST

हिसार:उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा ने हर किसी को परेशान किया है. हर कोई तपोवन टनल में फंसे लोगों की सलामती की दुआएं कर रहा है. इसी बीच आपदा में हरियाणा के हिसार जिले की बेटी डॉ. ज्योति ने ऐसा काम किया है जिसकी मिसाल ये देश कभी नहीं भूल पाएगा.

गर्भवती होने के बाद भी डटी रहीं डॉ. ज्योति

दरअसल, आठ महीने की प्रेगनेंट होने के बाद भी डॉ. ज्योति ने देश के प्रति अपने फर्ज को निभाते हुए लगातार तीन दिन ना सिर्फ काम किया बल्कि इस दौरान उन्होंने करीब 12 लोगों की जान भी बचाई है.

चमोली आपदा: 8 महीने की वो गर्भवती 'मसीहा', जिसने 48 घंटे बिना सोए 12 मजदूरों को बचाया

बिना सोए, तीन दिन किया काम

डॉ. ज्योति के पिता ने बताया कि डॉ. ज्योति इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात हैं. डॉ. ज्योति की तैनाती नवंबर महीने में जोशीमठ में हुई थी. फिलहाल ज्योति जोशीमठ के आइटीबीपी के अस्पताल में तैनात हैं. ज्योति अपनी डिलीवरी के लिए घर आने की तैयारी कर रही थी, तभी अचानक सुबह सूचना मिलती है कि ग्लेशियर टूटने से कई लोग हाइड्रो परियोजना के तहत बन रही टनल में फंस गए हैं.

डॉ. ज्योति के पिता ने बताया कि अपनी जान की परवाह किए बगैर ही डॉ. ज्योति ने ना सिर्फ मोर्चा संभाला बल्कि खुद चिंता किए बगैर लोगों की जान बचाई. इस दौरान डॉ. ज्योति बेहोश भी हुईं, लेकिन वो बिना थके अस्पताल में डटी रहीं. डॉ. ज्योति के पिता ने बताया कि जब भी डॉ. ज्योति का फोन आता तो वो सिर्फ इतना ही कहती थीं कि उन्हें लोगों की जान बचानी हैं.

डॉ.ज्योति ने बचाई 12 मजदूरों की जान

डॉ. ज्योति ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि उनकी टीम को सूचना मिली थी कि एक टनल में 12 मजदूर फंसे हैं. इन्हें वहां से रेस्क्यू किया गया. जब लोगों को अस्पताल लाया गया तो किसी को हाइपोथर्मिया तो किसी का ऑक्सीजन का स्तर काफी कम था. तब वो एकमात्र चिकित्सक वहां थीं, इसलिए उन्होंने सबसे पहले ऑक्सीजन मुहैया कराई. मजदूरों को कपड़े, खाना आदि दिया.

डॉ. ज्योति ने बताया कि लोगों का तनाव दूर कराने के लिए परिजनों से बात कराई गई. इन सभी लोगों को तीन दिन तक वहीं ऑब्जर्वेशन में रखा गया, जब तक वो भी वहीं रहीं.

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बता दें कि डॉ. ज्योति के पिता दिनेश कुमार हिसार में दक्षिण हरियाणा विद्युत वितरण निगम में जेई के पद पर तैनात हैं. वहीं माता चंद्रावती गृहणी हैं. उनकी शादी सिरसा में इंजीनियर आशीष से हुई है, जो खुद भी आईटीबीपी में इंजीनियर हैं.

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डॉ. ज्योति अपनी डिलीवरी के लिए हिसार अपने घर जाना चाहती थीं, लेकिन अब भी चमोली में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. जिस वजह से वो 8 महीने की गर्भवती होने के बाद भी ड्यूटी कर रही हैं, क्योंकि डॉ. ज्योति के लिए सबसे पहले उनका देश और उनका फर्ज आता है. वाकई आज सिर्फ डॉ. ज्योति के परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे देश को उन पर नाज है. डॉ. ज्योति के जज्बे को ईटीवी भारत भी सलाम करता है.

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