हिसार: हांसी के मंदिर में बच्चा दान करने के मामले में हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा मंगलवार को जांच करने मंदिर पहुंची. उन्होंने कहा कि मंदिरों में बच्चों को दान देने की परंपरा ठीक नहीं है और बच्चों की परवरिश माता-पिता द्वारा ही उचित माहौल में होनी चाहिए.
इस दौरान चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने मंदिर में मौजूद बाबा से रिकॉर्ड तलब किया तथा मंदिर के कमरों में रखी अलमारियों का निरीक्षण किया. उन्होंने मंदिर में रहने वाले बच्चे को पेश करने के निर्देश दिए. इसके बाद चेयरपर्सन विश्राम गृह पहुंची और दोनों बच्चों के माता-पिता से मुलाकात की.
बाल आयोग की चेयरपर्सन ने मंदिर में रह रहे बच्चे का करवाया रेस्क्यू इस दौरान बाल संरक्षण अधिकारियों ने पूर्व में मंदिर में रहने वाले 6 वर्षीय बच्चे के पिता की काउंसलिंग की व बच्चे को इस प्रकार से मंदिर में छोडऩे के कारणों के संबंध में जानकारी ली. बच्चा दान करने के मामलों पर चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने बाल संरक्षण अधिकारी को मंदिर में रहने वाले बच्चे को रेस्क्यू करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि बच्चे का मेडिकल करवाया जाए तथा मनोवैज्ञानिक से बच्चे की काउंसलिंग भी करवाई जाए.
चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने कहा कि इस प्रकार से मंदिर में बच्चों को दान देने की परंपरा गलत है और ये रुकनी चाहिए. उन्होंने कहा कि खबरों के माध्यम से उन्हें सूचना मिली थी कि इस प्रकार की घटना हांसी के एक मंदिर में हुई है, जिसका संज्ञान लेते हुए वह मंदिर में जांच करने पहुंची हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में जिला बाल संरक्षण अधिकारी को आदेश जारी किए गए हैं और उनके द्वारा बच्चों की पूरी निगरानी की जाएगी.
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चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने कहा कि कानून के अनुसार 18 वर्ष तक के बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी माता-पिता की है. अगर किसी माता-पिता को अपना बच्चा सरेंडर करना है तो इसके लिए जिला बाल संरक्षण कमेटी से संपर्क कर सकता है. बच्चों को गोद लेने के लिए देश में कानून है. इस प्रकार से मंदिर में या किसी अन्य संस्था को बच्चा दान करना गलत है. आयोग ऐसे मामलों में शिकायत मिलने पर कार्रवाई करता है. हांसी में इस प्रकार का एक मामला संज्ञान में आया था जिसकी जांच की गई है.