हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

गणतंत्र दिवस 2023: डॉ. बख्शी राम को मिला पद्मश्री सम्मान, हिसार से है विशेष नाता

हिसार में प्रधान वैज्ञानिक के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके डॉ. बख्शी राम को पद्मश्री सम्मान से पुरुस्कृत किया (Dr Baksh received Padma Shri in Hisar) गया. डॉ. बख्शी ने किसानों के हित में कई कार्य किए. साथ ही उन्होंने गन्ने की नई प्रजाति बनाकर एक सराहनीय कार्य किया था.

Chief Scientist Dr Baksh
बख्शी राम को पद्मश्री सम्मान

By

Published : Jan 26, 2023, 5:23 PM IST

हिसार:भारत सरकार की तरफ से डॉ. बख्शी राम को पद्मश्री से नवाजा गया है. डॉ.बख्शी राम को गन्ना क्रांति का पुरोधा भी माना जाता है. देश और किसानों के लिए डॉ. बख्शी ने जो सराहनीय कार्य किए उसके लिए उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है. बताते हैं कि CO-0238 प्रजाति ने गन्ने की दुनिया के सारे समीकरण ही बदल दिए. गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल के क्षेत्रीय केंद्र में रहकर डॉ. बख्शी राम ने गन्ने की 24 किस्मों को इजाद किया, लेकिन उनमें से CO-0238 किस्म के परिणामों ने किसानों के बीच ऐसी पकड़ बनाई की, इस वैरायटी ने हरियाणा पंजाब के करीब 54 फीसदी हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया.

जिले का बढ़ेगा मान:डॉ. बख्शी दिल्ली नजबगढ़ के पास पंडवाला खुर्द गांव के रहने वाले हैं, लेकिन 2021 में रिटायर होने के बाद से वो अब गुरुग्राम में ही रह रहे हैं. ग्रामीण इलाके के इस शख्स ने अपनी काबिलियत के बलबूते पर एक अमिट छाप छोड़ी और डॉ. बख्शी आज किसानों के दिलों पर राज कर रहे हैं. डॉ. बख्शी ने पढ़ाई हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार से की है और यहीं से उन्होंने PHD की, जिसके बाद 1984 से 1986 तक हिसार यूनिवर्सिटी में ही उन्होंने अपनी सेवा दी.

उसके बाद डॉ. बख्शी गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान करनाल और कोयंबटूर में रहे. कोयंबटूर में वह 1986 से 1990 तक रहे. 1990 से 2013 तक करनाल में अपनी सेवाएं दी. यूपी काउंसिल ऑफ शुगर केन में 2013 से 2014 तक डायरेक्टर के पद पर रहे. उसके बाद साल 2014 से 2021 तक कोयंबटूर में ही अपनी सेवाएं दी.

करनाल अनुसंधान केंद्र में 24 साल बिताए: डॉ. बख्शी राम ने करनाल अनुसंधान केंद्र में लगभग 24 सालों तक बतौर प्रधान वैज्ञानिक काम किया. वह बतौर वैज्ञानिक यहां आए थे. फिर वरिष्ठ वैज्ञानिक बने और फिर प्रधान वैज्ञानिक. इसके बाद अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष बन गए. उनकी अगुवाई वाली टीम ने गन्ने की कई प्रजातियां देश को दी. जिन्होंने गन्ना उत्पादन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाकर गन्ना उत्पादन बढ़ाया. CO-0238 इन सभी प्रजातियों में ऐसी प्रजाति है, जो उत्तर भारत में अधिकांश किसानों तक पहुंची.

डॉ. बख्शी का कहना है कि गन्ने की किस्मों के लिए पहले किसानों को साउथ की तरफ देखना पड़ता था, लेकिन CO-0238 ने पूरा सिनेरियो को ही बदल दिया. इस वैरायटी के बाद साउथ के लोग नॉर्थ की तरफ देखने लग गए. इससे बड़ा बदलाव क्या हो सकता है. डॉ. बख्शी ने बताया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, यूपी और बिहार राज्यों में 84 प्रतिशत एरिया में CO-0238 वैरायटी का कब्जा था और यह 2020-21 का डेटा है. उसके बाद के डेटा की उन्हें जानकारी नहीं है. अगर पूरे भारत की बात की जाए तो 54 प्रतिशत एरिया में यह वैरायटी फैली हुई है.

यह भी पढ़ें-गणतंत्र दिवस 2023: मुख्यमंत्री ने यमुनानगर में किया ध्वजारोहण, पानीपत में तिंरगे को सेल्यूट करना भूले नेता

गन्ने के उत्पादन में यूपी नंबर वन: गन्ने की किस्मों में पहले या तो उत्पादन बढ़ता था या फिर शुगर रिकवरी बढ़ती थी, लेकिन इस प्रजाति ने उत्पादन और शुगर रिकवरी दोनों को ही बढ़ाया है. पांच राज्यों की औसत पैदावार 20 प्रति हेक्टेयर तक बढ़ गई और 2.5 प्रतिशत शुगर रिकवरी बढ़ी है. अगर सिर्फ यूपी की बात की जाए तो वहां करीब 87 प्रतिशत एरिया में ये ही प्रजाति लगाई जाती रही है. इस वैरायटी के आने के बाद यूपी गन्ने के उत्पादन और शुगर रिकवरी में नंबर वन बन गया था.

पद्मश्री मिलने से वैज्ञानिकों में खुशी: हरियाणा और पंजाब में किसानों तक पहुंची CO-0238 गन्ना प्रजाति के लिए डॉ. बख्शी राम को जाना जाता है. करीब 60 से 70 प्रतिशत हरियाणा और पंजाब और औसतन करीब 52 प्रतिशत उत्तर भारत से अधिक किसानों तक पहुंची उनके ही नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की टीम ने गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल में इस प्रजाति को 2009 में जारी किया था. उन्हें पद्मश्री मिलने से करनाल केंद्र के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details