हिसार: कोरोना वायरस ने लोगों की सेहत के अलावा आर्थिक तौर पर भी गहरी चोट दी है. इस जानलेवा वायरस की वजह से बड़े से बड़े व्यापार पर तो असर हुआ ही है. साथ ही छोटे व्यापारियों को भी दो वक्त की रोटी खाने के लाले पड़ गए हैं.
कोरोना ने छीनी त्योहारों की रौनक
बीते कुछ महीनों में लॉक डाउन की वजह से व्यापार ठप रहा तो दीवाली नजदीक आते-आते मिट्टी के दीये, बर्तन, मटके इत्यादि सामान बनाने वालों को थोड़ी उम्मीद थी कि शायद अब बाजार में ग्राहक आएंगे, इन दीयों को खरीदेंगे जिससे दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाएगा. लेकिन कोरोना का खौफ एसा है की ना तो बाजार में पहले जैसी रौनक है और ना ही इनके सामान की बिक्री हो रही है जिससे दिन रात मेहनत करने वाले इन छोटे व्यापारियों के लिए गंभीर संकट खड़ा हो गया है.
कोरोना ने छीनी कुम्हारों की मुस्कान, दिवाली पर भी दीये बिकने की उम्मीद कम मिट्टी के बर्तन बनाने वालों के व्यापार पर बुरा असर
कोरोना काल के दौरान व्यापार तो बिल्कुल ठप था ही, त्योहारों के सीजन में कुम्हारों को उम्मीद थी कि व्यापार बढ़ेगा और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. कुम्हार राजबीर सिंह का कहना है कि मिट्टी के बर्तन और दीये बनाने का पुश्तैनी काम है, जिसे वो कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. लेकिन इस वर्ष कोरोना की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है और जिससे उनकी आजीविका पर काफी असर हुआ है.
राजबीर का कहना है कि अगर इस मुश्किल समय में सरकार की तरफ से थोड़ी सहायता हो जाए तो उनके परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा नहीं होगा. वहीं दीवाली में महज कुछ ही दिन बाकी है और इस बार आप और हम दीवाली पर जितना ज्यादा मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करेंगे. उतनी ही इन छोटे व्यापारियों की समस्या भी कम होगी और इनका परिवार भी खशियों वाली दीवाली मना सकेगा.
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