हिसार: भवन निर्माण कामगार यूनियन के मजदूरों ने मंगलवार को सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. भवन निर्माण कामगार यूनियन हरियाणा सीटू से संबंधित जिला कमेटी हिसार के आवाहन पर काफी संख्या में मजदूर क्रांतिमान पार्क में इकट्ठा होकर लघु सचिवालय तक गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
भवन निर्माण कामगार यूनियन के जिला प्रधान राजू बरवाला ने कहा कि भवन निर्माण का मजदूर आज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. कोरोना काल की वजह से लॉक डाउन में प्रवासी मजदूरों को कई प्रकार की समस्याएं हुई.
आज भी करोना की वजह से काम धंधे उस प्रकार से नहीं चल पा रहे हैं, जिसकी वजह से प्रवासी मजदूरों के हालात बहुत ही दयनीय है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार मजदूर और किसान विरोधी है जो आए दिन निर्माण मजदूरों के लिए बने श्रम कल्याण बोर्ड से मिलने वाली सुविधाओं पर भी मनमानी शर्तें थोप रही है.
यूनियन के जिला प्रधान ने कहा कि एक तरफ हरियाणा सरकार कह रही है कि हम निर्माण मजदूरों को 23 प्रकार की सुविधाएं दे रहे हैं, जबकि धरातल पर सुविधाएं देना तो दूर की बात प्रवासी मजदूरों का तो पंजीकरण ही नहीं है, क्योंकि वो 90 दिन के काम की तस्दीक कराने में असमर्थ है. उन्होंने कहा कि हमारी मुख्य मांगे हैं कि प्रवासी मजदूरों को श्रम कल्याण बोर्ड में ज्यादा से ज्यादा पंजीकरण किया जाए.
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार जल्द से जल्द से भवन निर्माण कामगार मजदूरों की मांगों को पूरा नहीं करती है तो जल्द ही हमारी राज्य कमेटी की मीटिंग कर एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी जिसकी जिम्मेवारी हरियाणा सरकार की होगी.
भवन निर्माण कामगार यूनियन की मांगे-
1.सभी जिलों में बोर्ड के कार्यालय खोले जाए व्यापार प्राथमिक तौर पर जिला स्तर पर तथा उसके बाद ब्लॉक स्तर तक स्थाई अधिकारी की नियुक्ति और पक्के कर्मचारी भर्ती किए जाए. बोर्ड के कार्यालय सभी जिलों में नहीं खुले हैं, जिससे मजदूरों को भारी परेशानी आ रही है. बोर्ड से संबंधित कार्यों के लिए उन्हें दूसरे जिलों में जाना पड़ता है.
2. बोर्ड की तरफ से निर्माण मजदूरों के पंजीकरण के लिए 90 दिन के काम तस्दीक के लिए यूनियनों का अधिकार समाप्त करने के फैसले को वापस लिए जाए. निर्माण मजदूर कल्याण कानून में मजदूरों के काम तस्दीक के लिए पंजीकृत यूनियनों को अधिकार दिया गया है, लेकिन राज्य मंत्रिमंडल द्वारा ये अधिकार समाप्त कर दिया गया है. जो कि गैर लोकतांत्रिक है और ट्रेड यूनियन अधिकारों का हनन है, अतः इस फैसले को वापस लिया जाए.