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हिसार में भाकियू ने किया किसान संगोष्ठी का आयोजन, कई मुद्दों पर हुई बात - Hisar news

भाकियू ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में किसान संगोष्ठी का आयोजन किया. संगोष्ठी में 'सुख की अवधारणा' को कार्यक्रम की थीम रखा गया. इसमें किसानों से संबधित कई समस्याओं पर कई बात की गई.

BKU organized farmers seminar in Hisar
BKU organized farmers seminar in Hisar

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Published : Mar 6, 2020, 11:41 PM IST

हिसार:भारतीय किसान संघ दत्तोपंत ठेंगड़ी का जन्म शताब्दी वर्ष मना रहा है. इस अवसर पर भाकियू ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में किसान संगोष्ठी का आयोजन किया. संगोष्ठी में 'सुख की अवधारणा' को कार्यक्रम की थीम रखा गया.

भाकियू में किसानों की हुई बैठक

किसान संगोष्ठी में किसानों ने फसल बिक्री, बीमा योजना, उचित मूल्य और खाद बीज आदि में आ रही समस्याओं को लेकर विचार रखें. किसानों की तरफ से फसलों की खरीद के साथ-साथ बीमा वाली फसलों के मुआवजे में देरी और अन्य समस्याएं प्रमुख रूप से रखी.

हिसार में भाकियू ने किया किसान संगोष्ठी का आयोजन, देखें वीडियो

किसानों की तरक्की को बताया देश की तरक्की

भारतीय किसान संघ के प्रदेश संगठन मंत्री सुरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों के उत्थान के बिना देश का उत्थान नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि किसान यदि समृद्ध होगा तो बाजारों में भी रौनक बढ़ेगी. देश की तरक्की आर्थिक तरक्की से होती है. कृषि प्रधान देश की तरक्की में किसान मुख्य सूत्रधार होता है.

कहा फसल को बाजार के हवाले छोड़ दिया जाता है

सुरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिलना चाहिए. सरकार एमएसपी तय करती है लेकिन उस पर भी खरीद नहीं होती. उन्होंने कहा कि सरकार 22 फसलों का समर्थन मूल्य तय करती है, लेकिन गेहूं को छोड़कर अन्य सभी फसलों को स्थानीय बाजारों के हवाले छोड़ दिया जाता है. ये कृषि प्रधान राष्ट्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. बजट को लेकर उन्होंने कहा कि किसानों के लिए करोड़ों का बजट बनता है जो कंपनियों को चला जाता है लेकिन किसान के उत्थान के लिए केवल 40 प्रतिशत बजट ही लगाया जाता है.

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भारतीय किसान संघ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसान हितैषी होने का केवल दावा कर रही है. सरकार को धरातल पर हकीकत को जानना चाहिए. किसानों को बिजली से अधिक आवश्यकता सिंचाई के लिए पानी की है. उन्होंने कहा कि एसवाईएल, कावेरी का मुद्दा नहीं सुलझाया गया. वहीं जल संरक्षण के लिए भी किसी प्रकार के कारगर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

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