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अब सैटेलाइट से पता चलेगी पशुओं की बीमारी, हिसार में देश की पहली प्रयोगशाला स्थापित

प्रयोगशाला में जलवायु के आधार पर सैटेलाइट के माध्यम से पता चल सकेगा किस तरह की जलवायु में और कौन से स्थान पर घोंघे और चिचड़ पाए जाते हैं. क्योंकि घोंघे और चिचड़ों से पशुओं में ज्यादातर बीमारियां फैलती हैं.

Animal disease will be detected by satellite
Animal disease will be detected by satellite

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Published : Sep 14, 2020, 2:22 PM IST

Updated : Sep 14, 2020, 3:25 PM IST

हिसार: लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी (लुवास) के परजीवी विज्ञान विभाग ने एक ऐसी प्रयोगशाला स्थापित की है जिसमें सेटेलाइट सिस्टम के जरिए पशुओं में होने वाली बीमारियों और परजीवी रोगों का पता लगाया जा सकेगा. इस तरह की ये भारत में एकलौती प्रयोशाला है जो हिसार में स्थापित की गई है.

प्रयोगशाला में जलवायु के आधार पर सैटेलाइट के माध्यम से पता चल सकेगा किस तरह की जलवायु में और कौन से स्थान पर घोंघे और चिचड़ पाए जाते हैं. क्योंकि घोंघे और चिचड़ों से पशुओं में ज्यादातर बीमारियां फैलती हैं.

अब सैटेलाइट से पता चलेगी पशुओं की बीमारी, क्लिक कर देखें वीडियो

हिसार के परजीवी विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ सुखदीप वोहरा और डॉक्टर स्नेहिल गुप्ता ने बताया कि हरियाणा की जलवायु सैटेलाइट मैप के अनुसार लाल रंग में पंचकूला, अंबाला, करनाल, यमुनानगर में घोंघो से होने वाली बीमारियां ज्यादा मिलती है. इन स्थानों पर पशु भी ज्यादा बीमार होते हैं.

घोंघे और चिचड़ से होने वाली बीमारी

  • पशुओं के पेट में कीड़े पड़ जाते हैं
  • इसे पशुओं में कमजोरी आ जाती है
  • पशु दस्त से ग्रस्त हो जाता है
  • दुधारू पशुओं पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है
  • चिचड़ पशुओं का खून चूसते हैं
  • जिससे पशुओं में खून की कमी हो सकती है
  • पशुओं में त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं

वैज्ञानिकों के मुताबिक सिर्फ पशु ही नहीं बल्कि इंसानों में भी घोंघो की वजह से बीमारी हो सकती है. ज्यादा दिन तक खड़े हुए पानी में घोंघो की संख्या ज्यादा होती है. जहां धान की खेती ज्यादा होती वहां भी इनकी संख्या जादा होती है. इनके लारवे की वजह से इंसान के पांव में सक्रियल डिमोटेटिस बीमारी हो जाती है. जिससे पैसों में छाले बन जाते हैं. हालांकि ये सात दिन के अंदर अपने आप ठीक हो जाते हैं. इसलिए वैज्ञानिक इनसे बचने के लिए दवाइयों के छिड़काव की सलाह देते हैं.

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हरसैक भारतीय अंतरिक्ष अनुंधान संस्थान और देहरादून नेशनल रिमोट सेसिंग सेंटर की मदद से प्रयोगशाला से संबंधित सामान और जानकारी प्राप्त की गई हैं. परजीवी विज्ञान के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर सुखदीप वोहरा ने बताया कि हाल ही में सेटेलाइट की मदद से ही हरियाणा के करनाल और अंबाला घोंघे से होने वाली बीमारी की पहचान हुई है. जिसकी रोकथाम के लिए उन्होंने काम तेज कर दिया है.

Last Updated : Sep 14, 2020, 3:25 PM IST

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