हिसार: एक तरफ कोरोना वायरस से जहां दुनिया खतरे में है. तो दूसरी तरफ कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं जो इंसान ही नहीं बल्कि जानवरों के लिए घातक साबित हो रही हैं. हिसार की लाला लाजपत राय यूनिवर्सिटी (लुवास) के जीव विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि एड्स की खतरनाक बीमारी इंसानों के अलावा कुत्तों में भी फैल रही है.
लुवास के परजीवी विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने कुछ पशुओं के सैंपलों की जांच करने के बाद ये दावा किया है. वैज्ञानिकों ने लंबी रिसर्च के बाद पाया है कि कुत्ते, भेड़ और लोमड़ी में एड्स, चिचड़ के कारण फैलता है.
लुवास के वैज्ञानिकों के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 90 करोड़ कुत्ते हैं. भारत में कुत्तों की संख्या करीब 195 लाख है. हरियाणा में इनकी संख्या करीब 19 लाख हैं. अभी तक एड्स बीमारी विदेशी नस्ल के कुत्तों में पाई जाती थी. साउथ अफ्रीका में ये बीमारी कुत्तों में ज्यादा पाई जाती है. अब अमेरिका और भारत के कुत्तों में भी ये तेजी से फैल रही है. भारत के हर राज्य से कुत्तों में एड्स की बीमारी की शिकायतें आ रही हैं. बीमारी के तीन-चार दिन बाद भी अगर इलाज नहीं किया तो कुत्तों की मौत हो जाती है.
इंसानों के बाद कुत्तों में फैल रही एड्स की बीमारी, जानें लक्षण और बचाव के उपाय ऐसे पहचानें कुत्तों में एड्स
- एड्स पॉजिटिव होने के बाद कुत्ता कमजोर होने लगता है
- उसका शारीरिक विकास भी पूरी तरह से रुक जाता है
- बीमारी के बाद कुत्ते की नाक से ब्लड बहने लगता है
- पेट, कानों के पीछे और अंडाशय में सूजन आ जाती है
- आंखें भी लाल हो जाती हैं, कुत्ता खाना-पीना छोड़ देता है
कुत्तों की जांच के लिए उनके खून का सैंपल लिया जाता है. सैंपल लेने के करीब आधा घंटे बाद ही रिपोर्ट आ जाती है. हालांकि बाद में पीसीआर मशीन से भी जांच की जाती है. पीसीआर मशीन से रिजल्ट आने में तीन से लेकर चार घंटे तक का समय लग जाता है. पीसीआर मशीन से होने वाली जांच के बाद ही पॉजिटिव या नेगेटिव घोषित किया जाता है.
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बड़ी समस्या ये भी है कि इस बीमारी का इलाज लंबा चलता है. इस बीमारी के बचाव के लिए कुत्तों के डिक्सीसाइक्लीन दवाई दी जाती है. जो कि 21 दिन तक देनी होती है. इस दौरान कुत्ते की दिन में दो से तीन बार जांच करवानी होती है. एक यही तरीका है जिससे कुत्तों के बचाया जा सकता है.