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अब गुरुग्राम में ब्लैक फंगस की दस्तक, जांच के लिए भेजे गए 3 संदिग्ध सैंपल

अब गुरुग्राम से ब्लैंक फंगस से संदिग्ध मामले सामने आए हैं. हालांकि अभी ये संदिग्ध हैं और सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे गए हैं.

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अब गुरुग्राम में ब्लैक फंगस की दस्तक, जांच के लिए भेजे गए 3 संदिग्ध सैंपल

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Published : May 14, 2021, 11:04 AM IST

गुरुग्राम:भारत में कोरोना वायरस ने कहर ढा रखा है और इस बीच ब्लैक फंगस ने टेंशन बढ़ा दी है. जहां ब्लैक फंगस देश भर में दस्तक देकर लगातार खतरनाक साबित होते जा रहा है तो वहीं अब साइबर सिटी के निजी असपतालो में भी ब्लैक फंगस के 2 से 3 संदिग्ध मामले सामने आए हैं.

जिले के चीफ मेडिकल अधिकारी की मानें तो ब्लैक फंगस के मामलों को लेकर तमाम निजी अस्पतालों को निगरानी रखने के निर्देश जारी कर दिए गए है.

अब गुरुग्राम में ब्लैक फंगस की दस्तक

वहीं ब्लैक फंगस के संदिग्ध मामलो के दर्ज होने के बाद जहां जिला स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है तो वहीं साइबर सिटी में ब्लैक फंगस की दस्तक के बाद हड़कंप की स्थिति देखी जा सकती है. सीएमओ गुरुग्राम की मानें तो मामले अभी संदिग्ध हैं और सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गए हैं. जांच की रिपोर्ट आने के बाद भी ब्लैक फंगस की पुष्टि हो सकेगी.

क्या है ब्लैक फंगस?

म्यूकरमायकोसिस जिसे आम भाषा में ब्लैक फंगस भी कहते हैं. ये एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता है. ये फंगस साइनस, दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) वाले लोगों जैसे कैंसर या एचआईवी/एड्स के मरीजों में ये जानलेवा भी हो सकती है.

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डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों को बचाने के लिए स्टेरॉइड्स के इस्तेमाल से ये संक्रमण शुरू हो रहा है. दरअसल, स्टेरॉइड्स के इस्तेमाल से कोविड-19 में फेफड़ों में सूजन को कम किया जाता है और जब शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अतिसक्रिय हो जाती है तो उस दौरान शरीर को कोई नुक़सान होने से रोकने में मदद करते हैं. लेकिन, ये इम्यूनिटी कम करते हैं और डायबिटीज या बिना डायबिटीज वाले मरीजों में शुगर का स्तर बढ़ा देते हैं.

ब्लैंक फंगस क्यों है खतरनाक?

डॉक्टरों के मुताबिक जब कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण दिखते हैं तो सबसे पहले नाक, जबड़े पर इसका असर होता है. इसके बाद आंख और फिर दिमाग पर असर पड़ता है. आंख तक ब्लैक फंगस के पहुंचने पर आंख निकालनी पड़ सकती है. दिमाग तक पहुंचने पर मरीज की जान भी जा सकती है.

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