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भारत में पहली बार हरियाणा के मरीज को दी गई एंटीबॉडी कॉकटेल, ट्रंप के इलाज में हुआ था इस्तेमाल - भारत एंटीबॉडी कॉकटेल दवा पहला मरीज

भारतीय बाजार में कोरोना की एंटीबॉडी कॉकटेल दवा आ गई है. इसका नाम कोविड कॉकटेल है. हरियाणा के एक मरीज को इसकी खुराक दी जा चुकी है. इसके बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती है.

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भारत में पहली बार हरियाणा के मरीज को दी गई एंटीबॉडी कॉकटेल दवा

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Published : May 26, 2021, 7:41 PM IST

गुरुग्राम:कोरोना होने पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जो दवा दी गई थी, उसका भारत में पहली बार इस्तेमाल किया गया है. ये एंटीबॉडी कॉकटेल ड्रग हरियाणा के मरीज को दी गई है. मरीज 84 वर्षीय मोहब्बत सिंह हैं, जो गुरुग्राम के मेदांता में भर्ती है. पिछले पांच दिनों से इलाज करा रहे सिंह को 30 मिनट तक दवा दी गई. जानकारी के मुताबित दवा दिए जाने के बाद मरीज की सेहत में सुधार आया है.

दरअसल, स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी रोश इंडिया और सिप्ला ने सोमवार को भारत में रोश की एंटीबॉडी कॉकटेल को लॉन्च करने की घोषणा की थी. इस ड्रग की कीमत 59,750 रुपये प्रति डोज रखी गई है. ये कोविड मरीजों को गंभीर हालत होने पर दी जा सकती है.

दावा है कि ये ड्रग एंटीबॉडी उच्च जोखिम वाले मरीजों की स्थिति खराब होने से पहले अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के जोखिम को 70 प्रतिशत तक कम में सहायक है. इस ड्रग से मरीज के शरीर में तेजी से एंटीबॉडी बनती हैं जो शरीर में वायरल को कम करती है.

मेदांता के निदेशक डॉ. नरेश त्रेहान ने कहा कि उनके यहां 82 साल के एक मरीज को कॉकटेल दवा दी गई. उन्होंने कहा कि दवा देने के बाद मरीज को भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती है.

डॉ. त्रेहान के मुताबिक कोविड कॉकटेल का यूरोप और अमेरिका में खूब इस्तेमाल किया गया है. ये काफी प्रभावी रहा है. जिन मरीजों को ये दवा दी गई, उनमें से 80 फीसदी को भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी. इन सभी मरीजों को संक्रमण के सात दिनों के अंदर यह दवा दी गई थी.

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भारतीय बाजार में कोरोना की एक और दवा बाजार में आ गई है. इसका नाम कोविड कॉकटेल है. मेदांता अस्पताल में एक मरीज को इसकी खुराक दी जा चुकी है. इसके बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती है. खुराक के बाद शरीर में बहुत जल्द एंटीबॉडी बनता है.

सामान्य रूप से अभी जो दवा दी जाती है, उसके लिए मरीज का अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है. डॉक्टर लगातार मरीजों निगरानी करते हैं. एंटीबॉडी बनने में समय लगता है, लेकिन कॉकटेल दवा की मदद से एंटीबॉडी बहुत जल्द बनती है.

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उन्होंने कहा कि इस दवा को देने के बाद मरीज के शरीर में जो एंटीबॉडी बनती हैं, वो तीन से चार हफ्ते तक रहती हैं. लेकिन इस दौरान ये दवा वायरस के असर को करीब-करीब निष्प्रभावी कर देता है. नरेश त्रेहन के अनुसार प्लाज्मा के साथ-साथ रेमेडिसिविर और टोसिलिजुमैब से ये दवा बिल्कुल अलग है.

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