गुरुग्राम: प्राइवेट कंपनियों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक कानून बन चुका है. उद्योग जगत सरकार के इस कानून से खासा नाराज दिखाई दे रहा है. इस कानून के बाद सरकार और उद्योगपतियों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती नजर आ रही है. दरअसल ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान गुरुग्राम के उद्योगपतियों ने इस कानून के खिलाफ नाराजगी जताई है. यहां तक की उद्योगपति अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं.
इस मामले में गुरुग्राम के सेक्टर-37 इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान केके गांधी की ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर कोरोना महामारी के चलते पहले ही आर्थिक मंदी और बदहाली के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में ये कानून कहीं ना कहीं उद्योपतियों को हरियाणा से किनारा यानी पलायन करने को मजबूर कर देगा.
युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण पर गुरुग्राम के उद्योगपतियों ने प्रतिक्रिया दी है. उद्योगपति उमेश कुमार ने कहा कि ये कानून उनके ऊपर थोपा गया है. क्योंकि ये टेक्निकली पॉसिबल नहीं है कि हर कंपनी में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत रोजगार दिया जा सके. अगर इस कानून के खिलाफ एसोसिएशन को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट जाना पड़ेगा तो हम जरूर जाएंगे.
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दरअसल साइबर सिटी उद्योगों का हब है. ऐसे में 75 प्रतिशत आरक्षण को लेकर सर्वाधिक यहीं पड़ेगा. आईडीए के महासचिव और उद्योगपति आईडी बत्रा की माने तो मनोहर सरकार एक कानून, एक विधान और एक संविधान के लोकलुभावन नारे से पीछे हटती जा रही है. उद्योगपति परवीन मखीजा की माने तो साइबर सिटी प्रदेश को सर्वाधिक राजस्व देता आ रहा है. गुरुग्राम देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अहम योगदान देता आ रहा है, लेकिन अब ये कानून जिस तरह से थोपा जा रहा है. ये कताईं तर्क संगत नहीं है.