गुरुग्राम:कोरोना की वजह से जहां एक तरफ पूरे देश में लॉकडाउन लगाना पड़ा. वहीं दूसरी तरफ इस लॉकडाउन ने अधिकतर व्यापार पर अपना साइड इफेक्ट छोड़ा. सिर्फ प्राइवेट सेक्टर ही नहीं बल्कि सरकारी विभागों को भी कोरोना काल में नुकसान उठाना पड़ा है. जिसका नतीजा ये हुआ कि कई विभागों से अपने अस्थाई कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. ऐसे में लॉकडाउन का असर गुरुग्राम नगर निगम पर कितना पड़ा? ये जानिए इस स्पेशल रिपोर्ट में-
कोरोना काल में हुए रेवेन्यू लॉस के कारण कई सरकारी दफ्तर से आउटसोर्स कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया, लेकिन गुरुग्राम नगर निगम ने ना ही सिर्फ कर्मचारियों को समय पर वेतन दिया, बल्कि किसी भी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला.
5000 से ज्यादा हैं सैनिटेशन कर्मचारी
गुरुग्राम नगर निगम में 5000 से ज्यादा सैनिटेशन (सफाई कर्मचारी) तैनात हैं. गुरुग्राम नगर निगम की मेयर मधु आजाद की मानें तो किसी भी कर्मचारी को नगर निगम ने पिछले 1 साल में कोरोना काल में हुए नुकसान की वजह से नहीं निकाला है. हालांकि 1-2 कर्मचारियों पर काम में लापरवाही बरतने पर जरूर कार्रवाई की गई है, लेकिन कोरोना की वजह से किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं गई है.
समय पर मिलती है कर्मचारियों को सैलरी
नगर निगम कर्मचारियों ने बताया कि हर महीने की 5 तारीख से पहले ही उन्हें वेतन मिल जाता है और कोरोना काल में भी इन्हें सैलरी वक्त पर ही मिली है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान काम ज्यादा जरूर था, लेकिन निगम ने उनका पूरा सहयोग किया.