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बादशाहपुर: नायब तहसीलदार दलबीर सिंह पर होगी कार्रवाई, BPL फ्लैट्स की अवैध रजिस्ट्री का आरोप - बीपीएल फ्लैट्स की अवैध रजिस्ट्री मामला

इस मामले में साल 2018 में खुद सीएम मनोहर लाल ने जांच के आदेश दिए थे. उसके बाद इस पूरे मामले में जांच हुई. अब जिला उपायुक्त गुरुग्राम ने वित्त आयुक्त हरियाणा सरकार से नायब तहसीलदार दलबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है.

Charge sheet filed against Naib Tehsildar of badshahpur
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Published : Nov 19, 2019, 10:51 PM IST

गुरुग्राम: बादशाहपुर तहसील में पूर्व नायब तहसीलदार दलबीर सिंह को बीपीएल फ्लैट्स की अवैध रूप से रजिस्ट्री करने के मामले में लिप्त पाया गया है. जिला उपायुक्त गुरुग्राम ने वित्त आयुक्त हरियाणा सरकार से नायब तहसीलदार दलबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है.

बता दें कि इस पूरे मामले में एक शिकायतकर्ता ने सीएम विंडो पर की गई शिकायत पर जांच शुरू हुई थी. साल 2018 में खुद सीएम मनोहर लाल ने जांच के आदेश दिए थे. उसके बाद इस पूरे मामले में जांच हुई. जिसके बाद सामने आया कि नायब तहसीलदार दलबीर सिंह पर बीपीएल कैटागिरी के फ्लैट्स की अवैध रुप से रजिस्ट्री करता है.

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वित्त आयुक्त को सौंपी गई चार्जशीट
इस जांच के आधार पर अब जिला उपायुक्त ने जांच रिपोर्ट के साथ-साथ चार्जशीट भी वित्त आयुक्त को सौंप दी है. इसी जांच के आधार पर जिला उपायुक्त ने वित्त आयुक्त से ये भी मांग की है कि तत्कालीन बादशाहपुर तहसील में कार्यरत नायब तहसीलदार दलबीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

दरअसल बीपीएल परिवार को जो इस तरह के ईडब्ल्यूएस के फ्लैट दिए जाते है तो उसे पांच साल से पहले किसी भी दूसरे व्यक्ति के नाम नहीं किया जा सकता है ना ही किसी को बेचा जा सकता है, लेकिन सैंकड़ों की संख्या में गुरूग्राम के कई तहसीलों में इसी तरह के दर्जनों मामले है.

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किन्हें दिए जाते हैं ईडब्ल्यूएस के फ्लैट?
केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसके तहत बीपीएल और अल्प आय वर्ग के लोगों को अपना घर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अनुपातिक आधार पर वित्तीय और अन्य मदद प्रदान करती हैं. यह योजना ग्रामीण और शहरी इलाकों में अलग-अलग शर्तों के मुताबिक चलाई जा रही है. इस योजना की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में वित्त वर्ष 1985-86 में शुरू की गई थी.

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