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फतेहाबाद: बिजली बिल भरने के लिए युवक ले गया 1-2 रुपये के सिक्के

फतेहाबाद में बिजली निगम और उपभोक्ता के बीच अजीबोगरीब मामला सामने आया. 11 हजार रुपये का बिल भरने के लिए उपभोक्ता लगातार बिजली विभाग के चक्कर काट रहा है लेकिन कोई अधिकारी पैसे लेने को तैयार नहीं है. पढ़ें पूरी खबर

fatehabad electricity bill issue
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Published : Mar 7, 2020, 9:32 PM IST

फतेहाबाद: बिजली निगम और उपभोक्ता के बीच एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. बिजली निगम के द्वारा उपभोक्ता के घर 46 हजार रुपये का बिल भेज दिया गया. जिसके बाद बिजली निगम के उपभोक्ता ने कोर्ट की शरण ली और कोर्ट ने बिल पर स्टे लगा दिया. कोर्ट ने बिजली उपभोक्ता को आदेश दिए कि वे बिल की 25 फीसदी राशि बिजली निगम को जमा करवा दें.

सिक्के लेकर बिजली बिल भरने पहुंचा युवक

कोर्ट के आदेश के बाद उपभोक्ता कुलदीप सिंह 11 हजार रुपये के एक-एक और दो-दो के सिक्के लेकर बिजली निगम पहुंच गया. इन सिक्कों को जब कुलदीप सिंह ने बैग में भरा तो इनका वजन 38 किलो के करीब था. अब कुलदीप सिंह का आरोप है कि वे बिजली निगम के चार चक्कर काट चुका है, लेकिन बिजली निगम ये सिक्के ले नहीं रहा.

बिजली बिल भरने के लिए युवक ले गया 1-1, 2-2 के सिक्के

मीडिया से बातचीत करते हुए बिजली उपभोक्ता कुलदीप सिंह ने बताया कि वो 4 दिनों से लगातार बिजली निगम के चक्कर काट रहा है. उसका भाई मानसिक रूप से परेशान है और उसकी विधवा मां कई महीनों से बेड रेस्ट पर है. जब कोर्ट ने उसको 11 हजार रुपये बिजली निगम को अदा करने के आदेश दिए तो उसने अपनी मां द्वारा जोड़े गए 1-1 और 2-2 के सिक्के इकट्ठे किए और 11 हजार रुपये लेकर बिजली निगम पहुंच गया.

सिक्के लेकर विभाग के चक्कर काट रहा युवक

बिजली उपभोक्ता कुलदीप सिंह का आरोप है कि वो बिल भरने के लिए इंतजार करता रहा लेकिन बिजली निगम ने उससे ये सिक्के नहीं लिए. बिजली निगम भारतीय करेंसी का अपमान कर रहा है. 36 किलोग्राम का सिक्कों से भरा बैग उठाकर कई बार निगम के चक्कर काट चुका है.

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वहीं इस संबंध में जब बिजली निगम के कैशियर दीपक कुमार से बात की गई तो उन्होंने कुलदीप सिंह के आरोपों पर सफाई दी. कुलदीप सिंह उनके पास 11 हजार रुपये जमा करवाने के लिए एक-एक और दो-दो रुपए के सिक्के लेकर आया था. जिस पर निगम के कर्मचारियों ने उसे ये सिक्के बैंक में जमा करवाने की बात कही, निगम के कर्मचारी कुलदीप के साथ बैंक में चलने को भी तैयार थे. बिजली निगम का तर्क है कि उसके पास इन सिक्कों को गिनने के लिए साधन उपलब्ध नहीं है.

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