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धूमधाम से मनाया गया श्री गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व - फतेहाबाद रतिया न्यूज

8 दिसंबर से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सुबह शहर में प्रभात फेरी निकाल रही थी. 30 दिसंबर को इन प्रभात फेरी का समापन हुआ और उसके बाद रतिया शहर में नगर कीर्तन निकाला गया.

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Published : Jan 2, 2020, 10:44 PM IST

फतेहाबादः रतिया इलाके में सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया. रतिया के पुराना बाजार स्थित गुरुद्वारे में सिख संगत इकट्ठी हुई और 31 दिसंबर को शुरू हुए पाठ का भोग डाला गया. इस दौरान सत्संग को लेकर दीवान भी सजाया गया. जिसमें बाहर से आए रागियों ने अपने वचनों से संगत को निहाल किया.

प्रकाश पर्व की जानकारी देते हुए रतिया गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य ने बताया कि 8 दिसंबर से गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सुबह शहर में प्रभात फेरी निकाल रही थी. 30 दिसंबर को इन प्रभात फेरी का समापन हुआ और उसके बाद रतिया शहर में नगर कीर्तन निकाला गया.

धूमधाम से मनाया गया श्री गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व

उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर को अखंड पाठ साहिब का प्रकाश किया गया और 2 जनवरी को पाठ का भोग डाला गया है. इस अवसर पर काफी सिख संगतों ने भाग लिया, इस दौरान उनके लिए लंगर का भी प्रबंध था.

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श्री गुरु गोबिंद सिंह

गुरु गोबिंद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे. उनका जन्म 26 दिसम्बर 1666 को श्री पटना साहिब में हुआ था. उनके पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद 11 नवम्बर सन् 1675 को वे गुरू बने. वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे. सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.

गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया और उन्हें गुरु के रुप में सुशोभित किया. बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है. औरंगजेब की मृत्यु के बाद गुरू गोबिन्द सिंह ने बहादुरशाह को बादशाह बनाने में मदद की. गुरुजी और बहादुरशाह के संबंध अत्यंत मधुर थे. इन संबंधों को देखकर सरहद का नवाब वजीत खाँ घबरा गया. इसलिए उसने दो पठान गुरुजी के पीछे लगा दिए. इन पठानों ने गुरुजी पर धोखे से घातक वार किया, जिससे 7 अक्टूबर 1708 में गुरुजी (गुरु गोबिन्द सिंह जी) नांदेड साहिब में दिव्य ज्योति में लीन हो गए.

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