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Published : May 12, 2020, 6:44 PM IST

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धान की खेती: निशान सिंह ने सरकार को दिए अहम सुझाव, मुखयमंत्री ने दिया आश्वासन

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए किसानों से कम पानी से होने वाली फसलों को बोने की अपील की थी, जिस पर प्रदेश में जमकर राजनीति हो रही है. अब सरकार में सहयोगी जेजेपी के प्रदेशाध्यक्ष ने किसानों की बात सरकार के सामने रखी है.

nishan singh
निशान सिंह, प्रदेशाध्यक्ष

फतेहादबाद: 6 मई को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने प्रदेश में 'मेरा पानी-मेरा विरासत योजना' योजना लॉन्च की. सीएम ने किसानों को फसल विविधिकरण को अपनाने पर जोर देते हुए कहा है कि डार्क जोन में शामिल क्षेत्रों में धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इस पर विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर जमकर निशाना साधा और इसे सरकार का तालिबानी फैसला भी बताया. इसी बीच सरकार में सहयोगी जेजेपी ने भी सरकार के फैसले और किसानों की दिक्कत के लिए एक बीच का सुझाव सरकार के सामने रखा है.

सुनें निशान सिंह का बयान.

निशान सिंह ने सरकार से की बात

जेजेपी प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह ने कहा कि 'मेरा पानी-मेरा विरासत योजना' को लेकर उन्होंने सीएम और डिप्टी सीएम से बात की है और किसानों की समस्या से अवगत भी करवाया है. निशान सिंह ने कहा कि किसानों की समस्या उन्होंने दोनों शीर्ष नेताओं के सामने रखी है. निशान सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि धान की बुआई बिल्कुल बंद हो रही है, कम पानी से होने वाले धान की बुआई हो सकती है. निशान सिंह ने कहा कि कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो मक्का और कपास की फसल के अनुकूल नहीं हैं. इसलिए प्रदेश सरकार के सामने उन्होंने इन तमाम पहलुओं को रखा है.

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निशान सिंह ने कहा कि जिन क्षेत्रों में मक्का और कपास की फसल नहीं हो सकती है वहां किसान कम पानी से होने वाले धान की बुआई कर सकते हैं. इस बिंदु को उन्होंने सरकार के सामने रखा है.

'मेरा पानी-मेरा विरासत' योजना

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मेरा पानी-मेरा विरासत योजना लॉन्च की है. जिन ब्लॉक में पानी 35 मीटर से नीचे है, वहां पंचायती जमीन पर धान की खेती की अनुमति नहीं मिलेगी. इसमें पेहवा, थानेसर, जाखल, पटौदी और फतेहाबाद शामिल हैं.अन्य ब्लॉक के किसान भी धान की खेती छोड़ना चाहते हैं तो वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. डार्क जोन में शामिल क्षेत्रों में धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.

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