फतेहाबाद:पंडित जसराज का जाना सुरों की दुनिया से एक सितारे के टूटने जैसा है. उन्होंने सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में शास्त्रीय संगीत की परंपरा को पहुंचाने का काम किया. पंडित जसराज मूल रूप से हरियाणा के फतेहाबाद जिले के रहने वाले थे. उनके चले जाने से उनके पैतृक गांव पीली मंदोरी में मातम पसरा है.
बता दें कि पीली मंदोरी पंडित जसराज का पैतृक गांव है. इसी गांव में पंडित जसराज का जन्म हुआ था, जिसके बाद वो हैदराबाद चले गए और हैदराबाद से कोलकाता गए. उन्होंने अपने बड़े भाई से संगीत सीखा. इसके बाद पंडित जसराज सुरों के रसराज बने.
'पं. जसराज के दिल में बसा था ये गांव'
गांव पीली मंदोरी के ग्रामीणों को भरोसा ही नहीं हो रहा है कि वो अब नहीं रहे. पंडित जसराज के साथी गांव के पूर्व सरपंच राममूर्ति बागड़िया ने बताया कि पंडित जसराज से कुछ महीने पहले उनकी कई बार बात हुई है. जब भी पंडित जसराज गांव में आते थे तो उन्हें मिले बिना नहीं जाते थे. 5 वर्ष पहले भी पंडित जसराज गांव में आए और गांव में ही उनका जन्मदिन मनाया गया था. गांव के स्कूल में बच्चों को 86 किलो बूंदी भी बांटी गई थी. राममूर्ति ने बताया कि ये गांव पंडित जसराज के दिल में बसता था. जिस समय पंडित जसराज की शादी हुई उस समय गांव से पांच लोगों को न्योता भेजा गया था और गांव के लोग उस शादी में शामिल भी हुए थे.
'उनका इस गांव पर बहुत एहसान है'