फरीदाबाद: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपए का कोलेट्रल फ्री लोन दिए जाने की घोषणा करने के बाद एमएसएमई से जुड़े लोगों में खुशी देखने को मिल रही है. उनका कहना है की इस पैकेज से छोटे उद्योगों को संजीवनी बूटी मिल गई है, लेकिन वहीं कुछ लोगों को सरकार की योजनाओं पर संशय भी है. उनका कहना है कि घोषणा करने और जमीनी स्तर पर योजना को पहुंचाने में काफी अंतर होता है.
सरकार की तरफ से जारी आर्थिक पैकेज पर हाईवे के शाइनिंग बोर्ड और अन्य कई प्रकार के पार्ट्स बनाने वाले लघु उद्योग संचालक भूपेंद्र ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि लॉकडाउन होने के बाद उनके उद्योग धंधों की हालत खराब हो चुकी है, क्योंकि लॉकडाउन होने के कारण एकदम से उनको काम बीच में रोकना पड़ा. जिस वजह से सारा सिस्टम तबाह हो गया. उन्होंने अपने वर्करों की सैलरी भी दी है. जिस वजह से उनके आर्थिक हालात सही नहीं चल रहे हैं, लेकिन अब एमएसएमई को जो तीन लाख करोड रुपये के राहत पैकेज की बात कही गई है. इससे उनको संजीवनी बूटी मिली है. उन्होंने कहा कि लोन बिना किसी गारंटी के उनके उद्योग को मिलेगा तो निश्चित तौर पर उनके आर्थिक हालात सुधरेंगे.
वहीं कई उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार ने एमएसएमई के लिए जो फैसले किए हैं. वह काबिले तारीफ है. उन्होंने कहा कि छोटे उद्योग बड़े उद्योगों को माल की सप्लाई करते हैं. तो ऐसे में इस आर्थिक पैकेज से छोटे उद्योगों को मदद मिलेगी. उन्होंने कहा की लॉकडाउन होने के चलते अधिकतर लेबर अपने घर जा चुकी है, लेकिन जिस तरह से कर्मचारियों के ईपीएफ का पैसा सरकार ने देने की बात कही है.
'कर्मचारियों में आया आत्मविश्वास'
उद्योगपतियों का कहना है कि इस पैकेज से कर्मचारियों में फिर से आत्मविश्वास जागा हो गया है. साथ ही उन्होंने खुशी जताई कि एक साल तक उनको लोन का कोई पैसा नहीं चुकाना पड़ेगा, साथ ही साथ उन्होंने कहा कि पेपर में सरकारी योजनाएं बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन जब जमीनी हकीकत की बात आती है तो योजनाएं कई बार दम तोड़ती हुई नजर आती हैं. उन्होंने कहा कि अगर इंप्लीमेंट अच्छे से किया जा रहा है तो निश्चित तौर पर ही इस राहत कोष का उद्योगों को लाभ मिलेगा.
'उद्योग नवीनीकरण का चक्र शुरू होगा'