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आज है बुध प्रदोष व्रत: इस तरह से करें भगवान शिव-पार्वती की पूजा तो प्रसन्न होंगे महादेव, मनोकामनाएं होंगी पूरी - Pradosh Vrat fasting

हिंदू धर्म में हर महीने तीज, त्योहार और व्रत का अलग महत्व है. इसी कड़ी में आज हम आपको बुध प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat worship method) के बारे में बता रहे हैं. इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है.

Pradosh Vrat worship method
Pradosh Vrat worship method

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Published : May 2, 2023, 1:31 PM IST

Updated : May 3, 2023, 8:55 AM IST

फरीदाबाद: वैशाख महीने का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 3 मई को रखा जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से माता पार्वती और भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. इस दिन भोले बाबा के मंदिरों में विशेष तौर पर भक्तों का तांता लगा रहता है. इस दिन लोग व्रत करके घरों में भी भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं.

फरीदाबाद के महंत मुनिराज ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से जीवन की सारी कठनाईयां दूर हो जाती हैं. भोले बाबा और मां पार्वती दांपत्य जीवन में भी खुशियां भर देते हैं, हर रुके हुए कार्य इस व्रत को करने से पूरे होते हैं. यही वजह है कि भक्त पूरे विधि विधान के साथ भोले बाबा और मां पार्वती को इस दिन प्रसन्न करने में लगे रहते हैं.

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प्रदोष व्रत शुभ तारीख और मुहूर्त:प्रदोष व्रत की तिथि हर बार अलग-अलग होती है. इस बार की बात करें तो प्रदोष व्रत 3 मई 2023 बुधवार को रखा जाएगा. बुधवार के दिन तिथि पड़ने से इसे बुध प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा. त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 2 मई की रात 11 बजकर 17 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन यानी 3 मई तक रहेगी. इसीलिए इस बार लोग व्रत 3 मई को रखेंगे, वहीं पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 3 मई को ही शाम 6 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. इस बार प्रदोष व्रत का दिन बुधवार है. ऐसे में यदि व्रत रखने वाले व्यक्ति को बुध ग्रह से संबंधित दोष हैं तो इस व्रत को रखने से ग्रहों से संबंधित दोष भी दूर हो जाएंगे.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि:3 मई बुधवार को सुबह प्रातः काल उठकर व्रत करने वाले जातक गंगाजल को पानी में मिलाकर उससे स्नान करें. इसके बाद साफ कपड़े पहन लें फिर भोले बाबा को याद करते हुए व्रत की शुरुआत करें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में यानी शाम को किसी शिव मंदिर में जाकर या घर पर ही भोले बाबा और पार्वती की मूर्ति रखकर, भगवान भोलेनाथ को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं.

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उसके बाद भोले बाबा को सफेद चंदन का लेप लगाकर उस पर बेलपत्र, भांग, अक्षत, भस्म, शक्कर, शहद, सफेद फूल, शमी का पत्ता, फल, आदि अर्पित करें. इसके साथ ही गायत्री मंत्र या ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें. उसके बाद भगवान शिव के सामने देसी घी का दीपक जलाकर उनकी आरती करें और अपनी मनोकामनाएं भोले बाबा के समक्ष रखें.

व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवान को याद करें. अगले दिन यानी 4 मई को फिर से नहा धोकर इसी विधि को दोहराएं और सूर्योदय के बाद पारण करें. इस तरह से प्रदोष व्रत समाप्ति करें. भोले बाबा और मां पार्वती को की पूजा करने से भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद आप और आपके परिवार पर सदा बना रहेगा. आपकी जो भी मनोकामनाएं हैं वो पूर्ण होगी.

Last Updated : May 3, 2023, 8:55 AM IST

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