फरीदाबाद: यदि आपको भी फरीदाबाद में पुलिस की वर्दी पहने इंसान बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते नजर आ जाए तो आप हैरान मत चौंकिएगा नहीं. सरकार ने कोई पुलिस की वर्दी टीचरों के लिए ड्रेस कोड के तौर पर अनिवार्य नहीं किया है बल्कि यह वाकई पुलिस वाले (Police Teacher in Faridabad) हैं और वह भी स्टेट क्राइम ब्रांच फरीदाबाद के जो इन दिनों आपको कभी सड़क किनारे कभी पुल के नीचे तो कभी पार्क में जहां जगह मिल जाए वही बच्चों को पढ़ाते नजर आ जाएंगे.
आपको इन टीचर के बारे में बता दें ये हैं स्टेट क्राइम ब्रांच में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद पर तैनात अमर सिंह, अमर सिंह इन दिनों फरीदाबाद में शिक्षा की लौ जला रहे हैं. अपने फर्ज के साथ-साथ इन दिनों वह कभी सड़क किनारे तो कभी पार्कों में बच्चों को पढ़ाते नजर आ (Police Teacher in Faridabad) जाएंगे. उनको जहां जगह मिलती है वहीं पर बच्चों को पढ़ाने लगते हैं. झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे अब अमर सिंह की क्लास में आकर पढ़ाई करते हैं.
यह बच्चे कभी मेट्रो स्टेशन पर भीख मांगा करते थे तो कभी कबाड़ उठाने का काम करते थे. लेकिन अमर सिंह की सोच के आगे इन बच्चों की भी सोच बदल गई और पुलिस वाले सर की क्लास में यह बच्चे पढ़ने लगे. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अमर सिंह ने बताया कि वह जब स्टेट क्राइम ब्रांच में तैनात हुए उस दौरान उन्होंने कई बच्चों का रेस्क्यू किया.
यह बच्चे कभी मेट्रो स्टेशन पर भीख मांगा करते थे तो कभी कबाड़ उठाने का काम करते थे. अमर सिंह और उनकी टीम इन बच्चों का रेस्क्यू करके उनके परिवार को सौंप देते थे. लेकिन अगले दिन फिर से यह बच्चे अपने उन्हीं कामों में लग जाते थे. तब अमर सिंह ने सोचा कि क्यों ना इन बच्चों के लिए कुछ किया जाए. ताकि यह भीख ना मांगे और ना ही कबाड़ उठाने का काम करें. क्योंकि यह बच्चे बहुत ही गरीब परिवार से है मां-बाप रोजी रोटी के चक्कर में घर से रोज निकल जाते हैं.
इनके पीछे बच्चे भी घर से निकल कर भीख मांगना शुरू कर देते हैं. यह बच्चे इतने छोटे हैं कि इनको पता ही नहीं आगे क्या करना है, अमर ने बताया कि कुछ लोगों से बात की और सलाह मशवरा लेकर इन बच्चों को पढ़ाने लगा. रोज इन बच्चों की क्लास (Policeman giving education to destitute children) सुबह 8:00 से लेकर 11:00 तक लगती है. हमें जहां जगह मिल जाती हैं हम वहीं पढ़ाने लगते हैं. इस काम में उनकी पत्नी भी साथ में रहती है. उन्होंने कहा कि हमने एक पर टीचर भी रखा है ताकि जिस दिन मैं ना आ सकूं वह बच्चों को पढ़ा सके.