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Surajkund Mela 2022: पश्चिम बंगाल की मसलैंड चटाई ने लोगों को किया हैरान, डेढ़ सौ ग्राम की चटाई पर अद्भुत कलाकारी - अंडरकट कार्विंग कला

फरीदाबाद के 35वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले (Surajkund Mela in Faridabad) में हस्तशिल्पियों की लोगों को हैरान कर देने वाली कलाकारी सामने आ रही है. ऐसे में पश्चिम बंगाल के हस्तशिल्पी द्वारा तैयार पश्चिम बंगाल की मसलैंड चटाई ने लोगों को हैरानी में डाल दिया है. तपस कुमार ने मधुरकाठी (घास) को दांतों से बारीक कर चटाई तैयार की है. जिसका वजन महज डेढ़ सौ ग्राम है.

masland mat of West Bengal handicrafts
masland mat of West Bengal handicrafts

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Published : Mar 28, 2022, 10:47 PM IST

फरीदाबाद: 35वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले (Surajkund Mela in Faridabad) में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए कलाकार अपनी कलाकारियां दिखाकर लोगों का मन मोह रहे है. ऐसे में पश्चिम बंगाल से आए हस्तशिल्पी की शिल्पकारी देखकर लोग उसके कायल हुए जा रहे है. साथ ही हैरानी से आंखे भी खुली की खुली रह गई है. दरअसल पश्चिम बंगाल से आए हस्तशिल्पी कला में कलाकारों ने पश्चिम बंगाल की मसलैंड चटाई, जिसे दांतो से मधुरकाठी (घास) को बारीक करके (masland mat art) 6 महीने में उत्पाद तैयार किया है. इसके लिए उन्हें हस्तशिल्प में नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है.

वेस्ट बंगाल के रहने वाले तपस कुमार मसलैंड आर्ट में महारत हासिल कर चुके हैं. इसको लेकर उनको नेशनल स्तर पर अवार्ड भी दिया जा चुका है. इस आर्ट में बंगाल में होने वाली मधुरकाठी (घास) विभिन्न प्रकार के घरों के सामान तैयार किए जाते हैं. जिसमें चटाई, पर्दे सहित दूसरा सामान है. शिल्पकार तपस कुमार ने बताया कि साल में दो बार यह घास होती है. पहले इसको खेतों से काट कर लाते ही सुखाया जाता है. जिसके बाद चाकू की सहायता से इसको बारीक किया जाता है, लेकिन जब चाकू का काम खत्म हो जाता है, तो इसको बारीक से बारीक करने के लिए दातों का सहारा लिया जाता है. इस कलाकारी को मसलैंड मेट (masland mat of West Bengal handicrafts) कहा जाता है.

Surajkund Mela 2022: पश्चिम बंगाल की मसलैंड चटाई ने लोगों को किया हैरान

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शिल्पकार ने दांतो के माध्यम से इसको बारीक से बारीक करके 5 महीने में एक करीब 5 फीट लंबी एक चटाई तैयार की है. जिसको लेकर वह मेले में आए हैं और इस चटाई का वजन करीब डेढ़ सौ ग्राम ही है. इस चटाई पर जो कलाकृति की गई है, वह इसे और भी खूबसूरत बना रही है. बेहद हल्की इस चटाई की कीमत करीब 50 हजार रुपये है. तपस कुमार ने बताया कि उन्होंने यह कला अपने पूर्वजों से सीखी है. उनके पूर्वज सालों पहले से इस कला को लेकर उत्पाद तैयार करते आए हैं और उसी को वहां आगे बढ़ा रहे हैं. इस कला में तपस और उनकी पत्नी को नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है.

पश्चिम बंगाल की मसलैंड चटाई

तपस कुमार ने बताया कि घास को बारीक से बारीक करना बेहद मुश्किल भरा काम होता है और चाकू से भी वह काम नहीं हो पाता. इसीलिए वह दातों का सहारा लेते हैं. उत्पाद को तैयार करने में समय ज्यादा लगता है, लेकिन जो उत्पाद तैयार होता है वह बेहद हल्का और खूबसूरत होता है. उन्होंने कहा कि घास को बारीक से बारीक करने के बाद उसमें वजन नाम की कोई चीज नहीं रह जाती लेकिन मजबूती पूरी बनी रहती है.

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