फरीदाबाद: अरावली की वादियों में चल रहे 34वें सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में लगे एक स्टॉल पर सिर्फ धान से बनी जूलरी ही देखने को मिल रही हैं. पश्चिमी बंगाल के कोलकाता निवासी पुतुल दास मित्रा ने इस कला की खोज की है. पुतुल दास मित्रा बताती हैं कि ये ज्वेलरी पूरी तरह से वॉशेबल हैं.
लक्ष्मी पूजन से आया विचार
इनको प्रयोग करने के बाद ब्रश से धोया भी जा सकता है. यही नहीं पांच सालों तक इस ज्वेलरी में टूटने-फूटने की भी दिक्कत नहीं आती. स्टॉल पर 80 रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक की जूलरी उपलब्ध है. पुतुल दास ने बताया कि धान से ज्वेलरी को बनाने का आइडिया लक्ष्मी पूजन से आइडिया वर्ष 2007 में आया.
सबसे पहले बनाई राखी
हमारे यहां दीपावली में पारंपरिक तौर पर धान आदि से मां लक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है और एक साल तक मूर्ति को पूजा घर में रख दिया जाता है. उसे देखकर धान से कुछ क्रिएटिविटी करने का विचार आया. करीब छह महीने के कठिन परिश्रम के बाद धान के दानों से राखी बनाई, जिसकी बड़ी तारीफ हुई.