हरियाणा

haryana

ETV Bharat / state

किस्सा हरियाणे का स्पेशल: आज भी परसोन मंदिर में होता है ऋषि पराशर की शक्तियों का अहसास

आपको 'किस्सा हरियाणा का' में हरियाणा की उन रहस्यमयी जगहों के इतिहास के बारे में बताते हैं जिनसे आप अंजान हैं. ऐसे स्थानों के बारे में जानकर आपको हैरत होने के साथ ही वहां जाने की भी इच्छा होने लगेगी. इसी क्रम में आज बात करेंगे परसोन मंदिर की. जी हां, इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है, जिसे ऋषि परासर से जोड़कर देखा जाता है. तो चलिए जानते हैं इस मंदिर के किस्से के बारे में...

kissa haryana special
kissa haryana special

By

Published : Mar 26, 2023, 2:10 PM IST

Updated : Mar 26, 2023, 2:19 PM IST

किस्सा हरियाणे का स्पेशल

फरीदाबाद: औद्योगिक नगरी फरीदाबाद जहां एक तरफ मशहूर इंडस्ट्रियल हब के लिए फेमस है तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐतिहासिक स्थान ऐसे भी हैं जो फरीदाबाद की पहचान में चार चांद लगाते हैं. इनमें से एक है परसोन मंदिर. अरावली पहाड़ी और जंगलों के बीचो बीच प्रकृति की गोद में स्थित परसोन मंदिर अपने आप में इतिहास को संजोए हुए है.

ऋषि पराशर की तपोभूमि: मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर ऋषि पराशर की तपोभूमि है. ऋषि पराशर मुनि के नाम पर ही मंदिर का नाम परसोन मंदिर पड़ा. मंदिर के देखरेख कर रहे महंत अमर दास ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि ऋषि पराशर मुनि ने अपने तप से इस स्थान को शक्तियों से भर दिया है. आज भी यहां पर शक्तियां साक्षात मौजूद हैं. जिसे हम महसूस कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि यहीं पर रहकर ऋषि पराशर मुनि के पुत्र महर्षि वेदव्यास ने 18 महापुराणों और महान ग्रंथ महाभारत की रचना की थी. यहां पर आज भी महर्षि पराशर का प्राचीन धुना सुरक्षित है, जिसमें यहां रहने वाले साधु हमेशा अग्नि प्रज्वलित करके रखते हैं.

ऋषि पराशर की तपोभूमि

बाण से बनाया था कुंड: महंत अमरदास बताते हैं कि यहां पर 3 कुंड भी मौजूद हैं, जिसे ऋषि पराशर मुनि ने बाण चलाकर इसका निर्माण किया था. इसी कुंड में ऋषि पराशर मुनि स्नान करके तपस्या किया करते थे. इस कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है, इसमें नहाने से तमाम तरह की बीमारियां दूर होती हैं. वहीं पितृदोष भी खत्म हो जाता है. अमावस्या के दिन यहां पर स्नान करने वालों की भारी भीड़ होती है. यह चमत्कारी कुंड है, इसके अलावा यहां एक और कुंड स्थित है जिसे अमृत कुंड कहते हैं. जिसमें पानी कभी खत्म नहीं होता है और पानी इतना साफ है जिसे देखकर लोग यह नहीं बता पाएंगे कि यह कुंड का पानी है.

बाण से बनाया था कुंड

पांडवों ने किया था यहां तप:कुंड में पानी कहां से आता है अभी तक किसी को पता नहीं लग पाया है. वहीं द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान माता कुंती के साथ पांचों पांडव ने यहां पर कई सालों तक तप किया. जिसका साक्षात प्रमाण अभी भी मौजूद है, इसके अलावा जब हनुमान जी लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेकर जा रहे थे तो कुछ देर के लिए वह यहां ठहरे थे, जिसका प्रमाण उनके चरण के रूप में अभी भी मौजूद है.

यह भी पढ़ें-हरियाणा का वो गांव जहां महाभारत काल में बकासुर राक्षस का आहार बने थे भीम, जानिए अक्षय वट तीर्थ की विशेषता

जंगली-जानवर भी मिलकर रहते हैं: आपको बता दें अरावली पहाड़ियों के बीचो बीच स्थित इस मंदिर को जाने वाले रास्ते काफी खराब है. उन रास्तों से चलना भी मुश्किल है, लेकिन इसके बावजूद भी सारी मुश्किलों को नजरदांज करते हुए जैसे ही आप मंदिर की प्रांगण में पहुंचेंगे एक अद्भुत शक्तियों का अहसास आपको होगा. इस मंदिर की एक और खास बात है. अक्सर देखा जाता है कि एक जीव दूसरे जीव पर प्रहार करते रहते हैं, लेकिन यहां पर लंगूर और बंदर भी साथ में रहते हैं. नेवला और सांप भी साथ में रहते हैं. कहीं किसी तरह की पशु पक्षी में लड़ाई नहीं देखी जाती है. यह भी ऋषि पराशर मुनि की देन है क्योंकि जब वह यहां पर तपस्या करते थे. उस दौरान यहां पर जंगली जानवरों का तांता लगा रहता था

हनुमान जी के चरण

परसोन मंदिर में बारिश में खूबसूरती: यही वजह है कि ऋषि पराशर मुनि की शक्तियों का प्रभाव है कि यहां पर पशु पक्षी भी एक साथ मिलकर रहते हैं. गौरतलब है कि परसोन मंदिर में बारिश के दिनों खूबसूरत झरना भी देखने को मिलता है. यहां पर आने वाले लोगों को एक अद्भुत शक्ति का अहसास होता है और यही वजह है जंगलों और पहाड़ियों से घिरे इस मंदिर में लोग दूर-दूर से आते हैं.

Last Updated : Mar 26, 2023, 2:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details