फरीदाबाद:सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फरीदाबाद केखोरी गांव (khori village faridabad) में तोड़फोड़ की कार्रवाई की जानी है. गांव के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू है तो वहीं लोगों का गांव से पलायन भी लगातार जारी है. यहां पर सवाल ये उठता है कि आखिर खोरी गांव बसा कैसे? अगर खोरी गांव में बसना अवैध था तो यहां के वासियों के सरकारी कागजात बने कैसे?
चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि फरीदाबाद के जिस खोरी गांव (khori village faridabad) को सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ने का आदेश दिया है वो पूरा का पूरा गांव पत्थर निकालने वाली खदान पर बसा है. वो खदान जो अरावली की पहाड़ियों को काटने के बाद बनी थी और जिसकी जमीन को भू माफियाओं ने लोगों को बेच दिया.
ये बात सन 1990 के आसपास की है. जब प्रशासन द्वारा अरावली में कई जगहों पर पत्थर की अवैध खदानों को बंद किया गया था. उस वक्त पत्थर की खदानों को तो बंद कर दिया गया, लेकिन इन खदानों को भरने के लिए किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई.
जिसके बाद भू माफियाओं ने प्रशासन की इस लापरवाही का फायदा उठाया और खाली पड़ी जमीन को गरीब लोगों को बेच कर अपनी जेब भरने का काम किया. दरअसल, पहाड़ खोदे जाने के बाद काफी समतल जगह इन खदानों में बन गई. जिसका फायदा भू माफियाओं ने उठाया और इस समतल हुई जमीन की प्लॉटिंग कर लोगों को बेच दी. पूरा खोरी गांव एक तरह से पहाड़ की गोद में बसा है और खदान में ही लोगों ने मकान बनाए हैं.
ये भी पढ़िए:खोरी गांव तोड़फोड़: प्रशासन ने काटी बिजली-पानी की सप्लाई, भूखे-प्यासे घरों में डटे लोग