फरीदाबाद:1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्र सरकार का बजट पेश करेंगी. इस बजट से हरियाणा के पेट्रोल पंप संचालकों ने खासी उम्मीदें लगाई हुई हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए हरियाणा के लोगों और पेट्रोल पंप संचालकों ने बजट सत्र को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं (Haryana people reaction on budget session) दी. पंप संचालकों का कहना है कि ये बजट उन्हें ध्यान में रखकर बनाया जाए. साथ ही आम जनता ने भी पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है.
बजट में क्या है जनता की मांग
लोगों ने कहा कि (Budget expectations in Haryana) आज आम जनता के लिए सबसे बड़ी परेशानी महंगाई है. पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते हर चीज पर महंगाई बढ़ी हुई है. इसीलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि इस बार के बजट में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम किया जाए और इनको जीएसटी के दायरे में लाया जाए. ताकि उनको कम कीमत पर पेट्रोल और डीजल मिल सके. क्योंकि अभी भी पेट्रोल और डीजल जो भाव बढ़े हुए हैं, उनसे आम आदमी की जेब पर आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है. यहां तक की आम आदमी को अपनी रसोई का खर्च चलाना भी बहुत महंगा पड़ रहा है.
बजट में क्या चाहते हैं पेट्रोल पंप संचालक
वहीं पेट्रोल पंप संचालकों ने इस बजट को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया दी है. पेट्रोल पंप संचालकों ने भी पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात कही है. साथ ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने की भी मांग की है. पेट्रोल पंप संचालकों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से इनकी सेल पर काफी फर्क पड़ रहा है. पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ने से क्रूड ऑयल से पेट्रोल बनाने वाली कंपनियां तो फायदा उठा रही हैं, लेकिन उनका कमीशन नहीं बढ़ाया जा रहा है. पिछले लगभग 2 साल से कोरोना के चलते उनका काम धंधा बेहद प्रभावित हुआ है. यहां तक कि कोर्ट बंद होने के चलते बाउंस चेक केसों की सुनवाई नहीं हो रही है. जिसके चलते उनको काफी परेशानियां हो रही है.
ऐसे में पेट्रोल पंप संचालक चाहते हैं कि उनका कमीशन बढ़ाया जाए और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने की कोशिश की जाए. क्योंकि अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आते हैं, तो इनकी कीमतें पूरे देश में एक समान होंगी और लोगों को कम कीमत में पेट्रोल व डीजल मिल सकेगा. बजट में पेट्रोल पंप संचालकों की कई सारी परेशानियों को भी ध्यान में रखा जाए क्योंकि कम कमीशन के चलते उनको आर्थिक रूप से परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है.