सूरजकुंड मेले ने जमाई विदेश में 'हरियाणा' की धाक फरीदाबाद : हरियाणा दिवस हर साल 1 नवंबर को मनाया जाता है. आपको बता दें कि 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर हरियाणा राज्य बना था और तभी से 1 नवंबर को हरियाणा का स्थापना दिवस हर साल मनाया जाता है. इस दिन जहां लोग एक दूसरे को राज्य के स्थापना दिवस की बधाई देते हैं तो वहीं सरकार की ओर से कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. इसी कड़ी में अगर प्रदेश के धरोहर और इतिहास की बात करें तो प्रदेश की कई जगह ऐसी हैं जिनकी पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आज बन चुकी है. ऐसा ही एक नाम आता है सूरजकुंड का.
सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला :सूरजकुंड का नाम ऐसा है जिसे शायद ही किसी ने ना सुना हो. जी हां हम बात कर रहे हैं फरीदाबाद के अरावली पहाड़ों के गोद में बसे सूरजकुंड की. यहां लगने वाले अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला अपने-आप में काफी पुराना इतिहास संजोए है. सूरजकुंड के मेला ग्राउंड में हर साल अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से कलाकार भी आकर शामिल होते हैं.
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देश-विदेश से आते हैं पर्यटक क्या कहते हैं इतिहासकार ? : इतिहासकार परमानंद यादव बताते हैं कि पहले लोग यहां आने से डरते थे. जहां मेला लगता था, वहां सिर्फ पत्थर और जंगली जानवर ही मिलते थे. लेकिन धीरे-धीरे विकास होता चला गया और अरावली पहाड़ियों के बीच सूरजकुंड मेले का ग्राउंड बना. साल 1987 से हर साल ये मेला लग रहा है. शुरुआती दौर में मेले में सिर्फ 30 से 35 स्टाल लगाए जाते थे, लेकिन आज पूरे देश-विदेश से कलाकार अपनी कला को दिखाने के लिए इस मेले में शामिल होते हैं. मेले में देश-विदेश की संस्कृति देखने को मिलती है. वहीं हैंडीक्राफ्ट की प्रदर्शनी से कलाकारों को बढ़ावा मिलता है. इसके अलावा देश-विदेश के बड़े दिग्गज नेता और मंत्री भी इस मेले में शामिल होने आते हैं.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग ? :ईटीवी भारत की टीम ने जब मेले ग्राउंड का जायजा लिया तो वहां मौजूद स्थानीय लोगों ने बताया कि ये उनके लिए काफी सौभाग्य की बात है कि सूरजकुंड का मेला फरीदाबाद में लगता है और आज इस मेले का जिक्र पूरे वर्ल्ड में होता है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस मेले से आज पूरे फरीदाबाद और हरियाणा को एक अलग पहचान मिली है. वहीं इस बार सरकार ने यहां दिवाली मेले का भी पहली बार आयोजन किया है जो 3 नवंबर से 10 नवंबर तक चलेगा.