फरीदाबाद: कोरोना वायरस ने जीवन से लेकर मृत्यु तक हर कुछ बदलकर रख दिया है. कोरोना से जिन लोगों की मौत होती है उनका शव परिजनों को नहीं दिया जाता है. बल्कि नगर निगम अंतिम जिम्मेदारी निभाता है. फरीदाबाद में कोरोना वायरस से 110 लोगों की मौत हो चुकी है. एक भी शव परिजनों को नहीं सौंपा गया बल्कि नगर निगम ने ही प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया. फरीदाबाद जिले में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के लिए 10 श्मशान घाटों को चिन्हित किया गया है. जहां इन शवों का रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है.
मुख्य सिविल सर्जन डॉ. रणदीप सिंह पूनिया ने बताया कि ये गाइडलाइंस हैं कि कोरोना से जिन लोगों की मौत होती है उनके शवों को परिजनों का नहीं देना होता. जिस भी अस्पताल में किसी कोरोना मरीज की मौत होती है तो वो सीधा उसके शव को नगर निगम को सौंपता है. उसके बाद अंतिम संस्कार की सारी जिम्मेदारी नगर निगम की होती है.
नगर निगम के पास होती है कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी, देखें ये स्पेशल रिपोर्ट 'रीति रिवाज के साथ होता है अंतिम संस्कार'
डॉ. रणदीप सिंह पूनिया ने बताया कि कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार के दौरान निगम कर्मचारियों को काफी चीजों का ध्यान रखना होता है. उन्होंने बताया कि ये प्रोटोकॉल का हिस्सा है कि जिस भी धर्म के कोरोना मरीज की मौत हो. उसी धर्म के रीति रिवाज के अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया जाए. उन्होंने बताया कि ये सारे रीति रिवाज पूरे करने की जिम्मेदारी भी निगम कर्मचारियों की होती है.
ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने नगर निगम के उन कर्मचारियों से बात करने की कोशिश की जो कोरोना मरीज की मौत हो जाने के बाद शव का अंतिम संस्कार करते हैं. निगम कर्मचारी राकेश ने हमें बताया कि उनके लिए ये काम बेहद जिम्मेदारी भरा होता है. उनके पास कोई भी लापरवाही करने की गुंजाइश नहीं होती.
निगम कर्मचारी राकेश ने बताया कि अगर किसी कोरोना मरीज की मौत होती है तो वो सबसे पहले शव को मोर्चरी से निकालकर अपनी एंबुलेंस में रखते हैं. उसके बाद जिस श्मशान घाट को कोरोना के शवों के लिए चिन्हित किया गया है वहां शव को ले जाया जाता है. उन्होंने बताया कि शव को मोर्चरी से ले जाने के बाद से अंतिम संस्कार तक वो पीपीई किट पहने होते हैं, क्योंकि इस दौरान उनके भी संक्रमित होने का खतरा बना रहता है.
क्या स्थानीय लोग खड़ी करते हैं परेशानी?
निगम कर्मचारी राकेश ने बताया कि स्थानीय लोग कई बार उनके लिए बड़ी परेशानी करते हैं. राकेश ने बताया कि अकसर ऐसा होता है कि श्मशान घाट के आस-पास रहने वाले लोग अंतिम संस्कार के लिए रोकते हैं. कई बार हंगामा तक होता है. उन्होंने बताया कि लोगों में ऐसा डर होता है कि कहीं कोरोना से मरने वाले किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया तो उनके इलाके में कोरोना फैल सकता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है.
राकेश ने बताया कि जब भी कभी ऐसी कोई समस्या आती है तो वो स्थानीय लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं. अगर उसके बाद भी लोग नहीं मानते तो नगर निगम के उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया जाता है. फिर उच्च अधिकारी आकर लोगों को समझा कर शांत करवाते हैं.
आमतौर पर शव गृह में ये रहती है स्थिति
फरीदाबाद में हर महीने 2 दर्जन के करीब डेड बॉडीज शव गृह में आती हैं. इनमें अधिकतर मौतें सुसाइड और एक्सीडेंट से होती हैं. वहीं महीने में करीब 3 से 4 शव ऐसे होते हैं जिनकी शिनाख्त नहीं हो पाती है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग इन शवों को शिनाख्त के लिए 48 घंटे फ्रीजर में रखता है और उसके बाद नगर निगम के माध्यम से इनका अंतिम संस्कार किया जाता है.