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फरीदाबाद के खोरी गांव में फिर लौटे लोग, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ढहाए गए थे अवैध निर्माण - खोरी गांव मामला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भले ही खोरी गांव के लोगों का आशियाना उजड़ (Khori Village Demolition) गया हो, लेकिन उस जगह से अभी इन लोगों का मोहभंग नहीं हुआ है. इन लोगों को अभी भी आस है कि सुप्रीम कोर्ट उनके साथ न्याय करेगी और अपनी पुरानी जगह पर ही उनको मकानों के लिए जगह मिलेगी. इसी उम्मीद में इन लोगों ने खोरी गांव में अपने टूटे हुए मकानों के ऊपर तंबू बनाकर रहना शुरू कर दिया है.

khori village encroachment
khori village encroachment

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Published : Sep 28, 2021, 6:44 PM IST

फरीदाबाद: करीब 2 महीने पहले फरीदाबाद में अरावली पर्वतों में बसे खोरी गांव में बने मकानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रशासन के द्वारा तोड़ा (Khori Village Demolition) गया था. मकानों को तोड़े जाने के बाद अभी भी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. फरीदाबाद के खोरी गांव के लोगों के मकान भले ही टूट गए हो, लेकिन इन लोगों की उम्मीद और अपने घर वापस पाने की आस अभी तक भी जिंदा है. उसी के चलते इन लोगों ने अपने टूटे घर के मलबे के ऊपर अस्थाई तौर से तंबू बनाकर (khori village encroachment started again) खुले आसमान के नीचे रहना शुरू कर दिया है.

प्रशासन के बुल्डोजर इनके मकानों को जमीन में मिला चुके हैं, लेकिन ये लोग अभी भी यहीं पर रूके हुए हैं. इन लोगों का कहना है कि सरकार ने इन्हें घर देने का वादा किया था, लेकिन इन्हें अभी तक कोई घर नहीं मिला जिसके बाद ये वापस यहीं आ गए हैं. खोरी गांव में अब एक बार फिर से हजारों लोग रह रहे हैं. अब यहां पर ना तो बिजली जैसी कोई सुविधा है ना ही पानी लेकिन उसके बाद भी ये लोग यहां से जाने को तैयार नहीं है.

खोरी गांव में फिर लौटे लोग, अपने टूटे घरों पर तंबू लगाकर रहना किया शुरू

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इन लोगों का कहना है कि ना प्रशासन कोई सुध ले रहा है ना ही सरकार. ऐसे में ये लोग जाएं तो कहां जाएं. कुछ परिवार जिन्होंने किराए पर कमरे लेकर अपना सामान सुरक्षित रखा हुआ है वह भी यहां तंबू लगाकर इसी आस में रह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में उनके साथ न्याय होगा और जहां उनके मकान तोड़े गए हैं उसी जगह पर उनको मकान मिलेंगे. यूपी के रहने वाले सुभाष का परिवार एक तंबू के नीचे गुजर बसर कर रहा है. उनकी दो बेटियां स्कूल में पढ़ती हैं. सामान को रखने के लिए किराए पर कमरा लिया हुआ है, लेकिन अपने बच्चों के साथ दिन के समय यहीं पर रहते हैं. यहीं पर उनकी बेटियां पढ़ाई करती हैं.

अपने टूटे मकान के ऊपर तंबू लगाकर रहता एक परिवार

मकान तोड़े जाने के बाद आर्थिक हालात को सुधारने के लिए लोग अपने घर के मलबे को साफ कर बेच रहे हैं. करीब 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला पूरा दिन मलबे को साफ करती हैं ताकि आर्थिक तौर पर उनको कुछ मदद मिल सके. लोगों का कहना है कि जब तक उनको उनके मकान वापस नहीं मिलेंगे तब तक वह यहां से वापस नहीं जाएंगे और इन लोगों को मकान भी यहीं पर चाहिए. लोगों ने कहा कि उनसे घर देने के नाम पर जो डिपॉजिट के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं उतने पैसे उनके पास नहीं है और जिन फ्लैटों में उनको शिफ्ट करने की बात कही जा रही है, उनकी हालत बेहद खराब है.

अपने टूटे मकान के मलबे को साफ करती एक बुजुर्ग महिला

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वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फरीदाबाद प्रशासन इन लोगों के रहने के लिए मकानों की व्यवस्था करने में लगा हुआ है. फरीदाबाद प्रशासन के पास 19 सितंबर, 2021 तक 2416 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 899 पात्र हैं. पात्र का मतलब है कि उनके पास पूरे दस्तावेज हैं.

खोरी गांव में अपने टूटे मकान के पास पढ़ाई करती एक बच्ची

गौरतलब है कि खोरी गांव सूरजकुंड क्षेत्र (फरीदाबाद) के अलावा प्रहलादपुर क्षेत्र, राजधानी दिल्ली तक फैला हुआ है. यहां करीब 10 हजार मकान बने थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वन जमीन पर बने इस निर्माण को तोड़ने और खाली कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर यहां के मकानों को तोड़ा गया था. ये मुद्दे पूरे देश में चर्चा का विषय बना था. इसके अलावा यूएन की ओर से भी इस मामले को लेकर ट्वीट कर भारत सरकार से खोरी गांव के लोगों को बसाने की अपील की गई थी. फिलहाल ये मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है.

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