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कोरोना काल में नौकरी गई तो शुरू किया अचार बनाने का स्टार्टअप, दिव्यांग दंपति ने पेश की आत्मनिर्भर बनने की मिसाल - फरीदाबाद में अचार बनाने का स्टार्टअप

कहा जाता है कि एक सिक्के के दो पहलु होते हैं. एक अच्छा और दूसरा बुरा. जैसे कोरोना. कोरोना की वजह से ना जाने कितने लोग बेरोजगार हो गए, लेकिन कुछ लोगों ने इस आपदा को अवसर में बदलकर आत्मनिर्भर बनने की मिसाल पेश की है. उन्हीं में से एक हैं फरीदाबाद के दिव्यांग दंपति, जिन्होंने फरीदाबाद में अचार बनाने का स्टार्टअप (pickle making startup in faridabad) शुरू किया. आज वो दूसरों को रोजगार दे रहे हैं.

pickle making startup in faridabad
pickle making startup in faridabad

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Published : Apr 27, 2022, 7:40 PM IST

फरीदाबाद: कोरोना की पहली और दूसरी लहर के वक्त लाखों लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी. कुछ लोगों को तो फिर से नौकरी मिल गई. कुछ की तलाश आज भी जारी है. कुछ लोगों ने खुद का ही कुछ अलग करने की ठानी जो आज दूसरों के लिए मिसाल बने हैं. एसजीएम नगर फरीदाबाद में रहने वाले दिव्यांग प्रवीण और उनकी पत्नी अंजू (divyang couple in faridabad) की भी कोरोना काल में नौकरी चली गई. जिसके बाद प्रवीण और अंजू के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया.

इस बीच हिम्मत ना हारकर दोनों पति पत्नी ने कुछ ऐसा किया कि आज दोनों मिसाल बने हैं. प्रवीण और उनकी पत्नी अंजू दोनों ही दिव्यांग हैं. प्रवीण बचपन में पोलियो का शिकार हो गए. जिसकी वजह से वो सामान्य तौर पर चलने में सक्षम नहीं है. उनकी पत्नी अंजू का हाथ चारा काटते समय मशीन में कट गया था. दोनों ही दंपति प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का काम करते थे, लेकिन कोरोना काल में उनकी नौकरी चली गई. जिसके बाद उनके सामने घर चलाने का संकट खड़ा हो गया.

कोरोना काल में नौकरी गई तो शुरू किया अचार बनाने का स्टार्टअप,

हिम्मत ना हारते हुए अंजू ने संयम से काम लिया और आत्मनिर्भर बन खुद का स्टार्टअप (pickle making startup in faridabad) लगाने का फैसला किया. अंजू की सास घर में अचार बनाने का काम करती है. अंजू को यहां से आइडिया आया कि क्यों ने घर में बनने वाले इस अचार को मार्केट में उतारा जाए. दंपति ने मिलकर साल 2020 में अचार का व्यापार करने का एक छोटा सा स्टार्टअप शुरू किया. जिसके लिए अंजू ने गुरुग्राम से 3 महीने तक विभिन्न प्रकार के अचार बनाने की ट्रेनिंग ली.

उन्होंने ₹25000 का निवेश करके अचार बनाने और उसको बेचने का काम शुरू किया. शुरुआत में उन्होंने छोटे स्तर पर इस काम को शुरु किया. उनका अचार केवल उनके रिश्तेदारों तक ही जा रहा था. इसके बाद दिव्यांग दंपति के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब केंद्र सरकार की स्वरोजगार योजना के तहत उनको ₹300000 का लोन मिला. हरियाणा खादी एवम ग्राम उद्योग बोर्ड की तरफ से दंपति को ये लोन दिलाया गया. लोन मिलने के बाद दंपति ने आचार के काम को बड़ा किया.

घर का अचार लोगों को खूब पसंद आ रहा है.

जिसके लिए अचार बनाने और उसे पैक करने की मशीन खरीदी. अलग से यूनिट स्थापित कर उन्होंने बड़े स्तर पर अचार बनाना शुरू कर दिया. इस अचार को उन्होंने फरीदाबाद से बाहर निकाल कर दूसरे राज्यों में भी भेजना शुरू किया. कुछ ही महीनों में उनके अचार का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा और मार्केट में उनके अचार की डिमांड बढ़ने लगी. 25 हजार रुपये से शुरू किए इस स्टार्टअप से दिव्यांग दंपति आज महीने में 15 से 20 हजार रुपये कमा रहे हैं.

लोन लेने के बाद दंपति ने मशीन खरीदकर छोटी यूनिट लगाई.

इस यूनिट में प्रवीण उनकी पत्नी अंजू, अंजू की सास और परिवार के अन्य लोग मिलकर काम करते हैं. वर्तमान में दिव्यांग दंपति 5 से 6 तरह का अचार डाल कर मार्केट में बेच रहे हैं. अचार के स्वाद को बरकरार रखने के लिए देखभाल का काम अंजू की सासू मां करती हैं. जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा हो चुकी है. दिव्यांग दंपति का बनाया अचार हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत दूसरे राज्यों में सप्लाई हो रहा है. अब लोग अचार के लिए ऑनलाइन ऑर्डर भी करने लगे हैं. कल जिन दंपति को नौकरी से निकाल दिया गया था. आज वो कई लोगों को रोजगार दे चुका है.

5 से 6 तरीके का अचार बनाते हैं दंपति

प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत दिव्यांग दंपति को लोन में मदद करने वाले हरियाणा खादी एवम ग्राम उद्योग बोर्ड फरीदाबाद के अधिकारी अनिल ने बताया कि इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है. वहीं पर अंजू और प्रवीण ने लोन के लिए अप्लाई किया. जिसके बाद दंपति से मिलकर उनको 3 लाख रुपये का लोन दिया गया. उस लोन की मदद से अब दंपति ने यूनिट स्थापित करके अपने काम को काफी बढ़ा दिया है.

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