फरीदाबाद:मानसून के बाद देश में डेंगू बुखार (Dengue Fever) की बीमारी सबसे बड़ी समस्या रहती है. हर साल हजारों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं. सैकड़ों लोग अपनी जान चली जाती है, लेकिन ये बीमारी उतनी जानलेवा नहीं है, जितनी मौते हो जाती हैं. इतनी भारती संख्या में लोगों की मौत होने की मुख्य वजह है इलाज में लापरवाही और जानकारी का अभाव होना.
देश के अस्पतालों में आज डेंगू के मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. एक तरफ कोरोना के मामलों से लोग डरे हुए हैं तो दूसरी तरफ डेंगू के डर ने भी लोगों को और ज्यादा डरा दिया है. अब ऐसे में डेंगू को लेकर बहुत सारी गलतफहमियां लोगों के बीच मौजूद हैं और इन्हीं गलतफहमियों को निजी अस्पताल डर बनाकर लोगों से मनचाहा पैसा वसूलते हैं. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने फरीदाबाद के डॉक्टर अनमोल से बात की.
जानें कितने तरह का होता है डेंगू, कैसे करें पहचान?
1. सामान्य डेंगू-लगभग 90% लोगों में सामान्य डेंगू पाया जाता है. इसमें मरीज को बुखार रहता है और मरीज के बदन में जोड़ों में बुरी तरह से दर्द होता है. मरीज को सामान्य तौर पर बुखार बना रहता है और 5 से 7 दिन तक प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है. उसके बाद आठवें और नौवें दिन यह प्लेटलेट्स की संख्या फिर से बढ़ने लगती है. सिर दर्द की परेशानी भी सामान्य डेंगू में झेलनी पड़ती है. डॉक्टरी सलाह के अनुसार सामान्य डेंगू के मरीज को घर पर आसानी के साथ ठीक किया जा सकता है. डेंगू को ठीक करने के लिए संबंधित दवाइयां भी जा सकते हैं और मरीज को बेहद हल्का खाना देने की जरूरत होती है. सामान्य बुखार की तरह ही सामान्य डेंगू से भी निपटा जा सकता है.
2. डेंगू हैमरेजिक-हेमरेजिक डेंगू मध्यम जोखिम की बीमारी है. इसमें मरीज को बार बार बुखार आता जाता है. मरीज जब पांचवें दिन में पहुंचता है तो उसकी स्थिति बेहद खराब हो जाती है. प्लेटलेट्स कम होना शुरू हो जाती हैं, जिसके चलते मरीज को उल्टी, दस्त, ब्लीडिंग होनी शुरू हो जाती है. मुंह से नाक से और यूरिन के जरिए बिल्डिंग होती है. यहां तक की इंसान जो मल निकालता है उसमें भी काले रंग की बिल्डिंग शुरू होती है. इसमें मरीज का बीपी 120/80 से गिरकर 100/60 तक चला जाता है.
इसके अलावा शरीर पर लाल दाने हो जाते हैं और मरीज को खुजली भी हो जाती है. हेमरेजिक डेंगू में मरीज को भी डि-हाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है, पानी की कमी होने लगती है, ऐसे में मरीज को ज्यादा से ज्यादा पानी जैसे जूस, नारियल, सूप आदि देकर पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है. इस डेंगू में मांसपेशियों में तेज दर्द होता है. इसको बर्दाश्त करना बेहद असहनीय होता है जबकि आम बुखार में अमूमन ऐसा नहीं होता.
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3. डेंगू शॉक सिंड्रोम-हेमोरेजिक स्टेज के बाद डेंगू शॉक सिंड्रोम की बारी आती है. इसमें मरीज की बीपी लगातार गिरती है और ब्लीडिंग बंद नहीं होती. मरीज शॉक में पहुंच जाता है. जिसको डेंगू की शॉक सिंड्रोम कहां जाता है. ऐसे मरीज को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत होती है. मरीज का बीपी 70/40 तक पहुंच जाता है. इस स्टेज पर मरीज के किडनी लीवर और हार्ट फेल करा बढ़ जाता है. स्टेज पर लगातार डॉक्टर की निगरानी में रहना बेहद जरूरी होता है.
कैसे करवाएं टेस्ट:डेंगू होने से पहले उसकी जांच और डेंगू होने के बाद होने वाले उनके टेस्टों के बारे में सही जानकारी हो तो इलाज करना बहुत आसान हो जाता है. इसके साथ ही ज्यादा खर्चों से भी बचा जा सकता है. स्वास्थ्य विभाग की सलाह के मुताबिक डेंगू का टेस्ट हमेशा बुखार आने के 3 दिन बाद ही कराना चाहिए, क्योंकि अगर 3 दिन से पहले टेस्ट कराया जाता है तो उस टेस्ट में डेंगू हमेशा नेगेटिव आता है.
डेंगू होने से पहले उसकी जानकारी के लिए कार्ड या रैपिड टेस्ट करके भी डेंगू का नेगेटिव या पॉजिटिव होने का पता लगाया जा सकता है, लेकिन यह टेस्ट ज्यादा विश्वसनीय नहीं होता. अगर इसमें डेंगू पॉजिटिव आता है तो इलाज तुरंत शुरू कर दिया जाता है, वरना रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो डेंगू के लिए दूसरा टेस्ट कराना बेहद जरूरी हो जाता है, क्योंकि कई बार डेंगू पॉजिटिव होते हुए भी ये कार्ड नेगेटिव रिपोर्ट देता है.