फरीदाबाद:कोरोना से ठीक होने के बाद (post covid) अगर आप छोटी-छोटी बातों को भूल रहे हैं या फिर आपके लिए किसी बात को याद रखने में मुश्किल आ रही है, तो इसे ब्रेन फॉगिंग (brain fogging) कहते हैं. कोरोना से जंग जीतने के बाद अब ब्रेन फॉगिंग लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है. चिकित्सा जगत में न्यूरो से संबंधित बीमारियों को ब्रेन फॉगिंग का नाम दिया गया है. ब्रेन फॉगिंग की बात की जाए तो ज्यादा उम्र के लोग ही नहीं बल्कि युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं और खासतौर से वह लोग इसमें शामिल हैं जो कोरोना संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं.
इस बीमारी ने कोरोना संक्रमित मरीजों के मस्तिष्क पर भी असर डाला है. एक स्टडी के अनुसार यही वजह है कि कोरोना से ठीक हुए 30 फीसदी मरीजों में न्यूरो से संबंधित लक्षण देखे गए हैं. कोरोना के बाद कई लोगों में याददाश्त कम होने की समस्या भी देखी जा रही है. इसे भूलने की बीमारी से जोड़कर देखा जा रहा है. मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. तरुण शर्मा ने बताया कि कोरोना के प्रभावों को जानने के लिए अभी भी रिसर्च चल रही है.
ये हैं ब्रेन फॉगिंग के लक्षण-ब्रेन फॉगिंग में कई सारे प्रकार हैं, जिसमें किसी मरीज को याददाश्त से संबंधित समस्या आ रही है, किसी को बोलने में दिक्कत आती है या फिर कोई अपना ध्यान एक जगह नहीं रख पा रहा है. किसी मरीज को नींद नहीं आ रही है. किसी के काम करने की क्षमता कम हो गई है. ब्रेन फॉकिंग में न्यूरो से संबंधित बीमारियों जैसे सिरदर्द, स्वाद गंध का पता न चलना, ब्रेन स्ट्रोक, याददाश्त कमजोर होना, बोलने में परेशानी आदि बीमारियां शामिल हैं. ये सभी ब्रेन ब्रेन फॉगिंग का ही असर है. कोरोना के बाद में मस्तिष्क में जो न्यूरो लॉजिकल कॉम्प्लिकेशंस देखने को मिल रहे हैं वह दो प्रकार के हैं. जिनमें एक में मस्तिष्क के अंदर रक्त के थक्के जम जाने के होने के कारण हुई है. जिसके कारण याददाश्त की समस्या, बोलने में रुकावट और पैरालाइसिस की समस्या हो रही है.
दूसरे प्रकार में वह लोग शामिल हैं जो काफी समय तक आईसीयू के अंदर एडमिट रहे और साइक्लोजिकल स्ट्रेस से गुजरे. जिसके कारण याददाश्त कमजोर होने की समस्या सामने आ रही है. इस तरह के दर्जनभर से भी ज्यादा मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. ब्रेन फॉगिंग की एक बड़ी वजह यह भी है कि जो मरीज लंबे समय तक अस्पताल में रहे हैं और ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ा है, ऐसे में उनके मस्तिष्क को ऑक्सीजन की कमी के चलते काफी नुकसान पहुंचा है और उनमें भूलने की समस्या सहित दूसरी दिमागी बीमारियों के बढ़ने की ज्यादा आशंका है.
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