फरीदाबादःसूरजकुंड क्राफ्ट मेला अंतरराष्ट्रीय जरूर है, लेकिन इसमें देसी चीजों की भरमार है. इसमें से एक है बाइस्कोप, जिसे हम गुजरे जमाने का सिनेमा कह सकते हैं. क्राफ्ट मेले में नई पीढ़ी खासकर बच्चों को बाइस्कोप से परिचित करवाया जा रहा है, ताकि उन्हें पता चल सके कि गुजरे जमाने में गांवों का सिनेमा कैसा होता था. वहीं विदेशी सैलानी भी बाइस्कोप का खूब आनंद उठाते नजर आ रहे हैं.
परिवार की तीसरी पीढ़ी है किशन
राजस्थान के अजमेर जिले के रहने वाले किशन बाइसकोप लेकर आए हैं. दिलचस्प बात ये है कि पहले उनके दादा ये बाइस्कोप चलाते थे. उसके बाद उनके पिताजी ये चलाते थे और अब किशन खुद मेले में इसको चला रहे हैं. यानी कि वो तीसरी पीढ़ी है जो बाइस्कोप जिंदा रखे हुए हैं. मेले के विभिन्न हिस्सों में बाइस्कोप रखे गए हैं, ताकि नई पीढ़ी के लोग पुराने जमाने के इस सिनेमा से रूबरू हो सकें. विदेशी सैलानी इसे देखने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
क्या है मकसद
किशन ने बताया कि इसके पीछे उनका एक ही मकसद है कि लोग जान सकें कि पहले लोग सिर्फ चित्र देखकर और गानों से मनोरंजन कर लिया करते थे. उसमें लोग बाइस्कोप वाले को अनाज देकर बर्मिंघम पैलेस भी देखते थे और ताज भी. भंवरलाल कहते हैं कि टीवी ने इस सिनेमा को गांवों से भी बेदखल कर दिया है, अब ये सिर्फ मेलों तक सिमट गया है. समय के साथ बाइस्कोप ने भी बदलाव देखे हैं.