फरीदाबाद: जिले में 33वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में आन्ध्र प्रदेश के हस्तशिल्प प्राचीन हस्तशिल्पकारी लेकर पहुंचे. हस्तशिल्पकारों की ये कलाकारी पुराने जमाने के नक्शे पर आधारित है. इसे बनाने में काफी मेहनत और समय लगता है.
ये तस्वीरें 33वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में लगे आन्ध्र प्रदेश हस्तशिल्प की स्टॉल की हैं. पुराने से दिखने वाला ये सामान आज से करीब 100 साल पहले राज करने वाले राजाओं के महलों से लेकर सुरक्षित रखे गए नमूने हैं. इस तरह के असली नमूने आपको पूरे भारत में कहीं नहीं मिलेंगे.
सूरजकुंड मेले में आंध्र प्रदेश की हस्त शिल्पकला.
ये लोग सूरजकुंड मेले में अपनी प्राचीन सभ्यता को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. सूरजकुंड मेले में अगर आप आते है तो आन्ध्र प्रदेश की संस्कृति का उल्लेख इन सामानों पर आप चित्रलिपि के जरिए देख सकते हैं.
हस्त शिल्पकारों का कहना है कि एक 12 फीट के दरवाजे तैयार करने में इनको करीब 2 साल लग जाते हैं, लेकिन आधुनिकता इनकी इस प्राचीन सभ्यता को धीरे-धीरे निगल रही है. इनका मकसद है कि वो हर बार मेले में इन नमूनों के साथ आते हैं. जिससे लोगों को पता चल सके कि 100 साल पहले महलों में किस तरह के दरवाजे और दूसरे सामान लगाए जाते थे.