फरीदाबाद :जिंदगी में कई बार ऐसे हालातों का सामना करना पड़ता है जब आगे का कोई रास्ता नहीं समझ में ही नहीं आता है है. मानों पूरा भविष्य अंधेरे में कहीं गुम हो गया हो. यहीं से शुरू होती है जिंदगी की असली परीक्षा. जो लड़खड़ा जाते हैं उनकी पूरी जिंदगी उठने में गुजर जाती है और जो मुसीबतों को झेलते हुए जी जान से सकारात्मक रुख अपनाते हुए अपना मुकाम हासिल करने में जुट जाते हैं, उनकी मिसाल दी जाती है.
कुछ ऐसी ही कहानी 35 साल के ममता देवी ( Mamta Devi Run E Rickshaw Driver Faridabad) की है जो आधी आबादी के लिए नजीर बन गई हैं. 35 साल की ममता (Mamta Devi from Bihar) मूल रूप से बिहार के छपरा जिले की रहने वाली हैं. वे करीब 12 साल पहले अपने पति के साथ फरीदाबाद आई थी. ममता का पति ट्रक चलाते थे और खुद ममता एक कंपनी में काम करती थी. इससे परिवार का गुजारा बमुश्किल ही चल पा रहा था. इसी बीच ममता पर मानों दुखों को पहाड़ टूट पड़ा.
दरअसल ममता के पति के पैर की नस ब्लॉक हो गई जिससे वे दिव्यांग हो गए. इसके बाद से उसके पति को घर वापस आना पड़ा. इसी बीच देश में कोरोना महामारी ने भी पैर पसार लिए और ममता जिस कंपनी में काम करती थी उसे वहां से निकाल दिया गया. करीब 7 महीने पहले ही ममता के पति की मौत कोरोना से हो गई ऐसे में उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह खड़ी हो गई कि वह अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करें.