फरीदाबाद में सूरजकुंड मेला फरीदाबाद: आपने आमिर खान की 3 इडियट्स फिल्म तो जरूर देखी होगी. जिसमें आमिर खान के दोस्त इंजीनियरिंग नहीं करना चाहते, वो परिवार के दबाव में आकर इंजीनियरिंग में एडमिशन तो ले लेते हैं, लेकिन जो अंदर का जुनून रहता है. वो कुछ और करने का रहता है. ठीक ऐसा ही नजारा सूरजकुंड के मेले में देखने को मिल रहा है. यहां अरुणाचल प्रदेश से आए जॉन ने सूरजकुंड मेला 2023 में नेकलेस इयररिंग समेत महिलाओं की ज्वेलरी का स्टॉल लगाया है. जिसे जॉन ने खुद अपने हाथों से बनाया है. इसमें खासतौर पर मोतियों का उपयोग किया गया है.
रंग बिरंगे इस ज्वेलरी को देखकर आपको ये नहीं लगेगा कि इसे जॉन ने खुद अपने हाथों से बनाया है, बल्कि ऐसा लगेगा जैसे किसी मशीनों द्वारा इसे बनाया गया हो. ईटीवी भारत से बातचीत में जॉन ने बताया कि उनको बचपन से ही मोतियों की माला बनाने का शौक था, लेकिन घरवालों की वजह से उन्हें इंजीनियरिंग में एडमिशन लेना पड़ा. उन्होंने पढ़ाई तो पूरी कर ली, लेकिन नौकरी नहीं की क्योंकि वह कभी इंजीनियर बनना ही नहीं चाहते थे. घरवालों के दबाव में वह इंजीनियर बने लेकिन कभी उन्होंने नौकरी के बारे में नहीं सोचा और घर में बैठकर वो मोतियों की ज्वेलरी बनाने लगे. धीरे-धीरे उन्होंने ज्वेलरी बनाना शुरू किया.
इंजीनियर बना हैंडीक्रॉफ्ट जूलर घर वालों के ताने सुने: इस दौरान उनके घर वालों ने भी उन्हें कई तरह के ताने दिए. पड़ोसियों ने भी कहा कि इंजीनियरिंग करके यह काम क्या कर रहे हो लेकिन जॉन ने किसी की एक नहीं सुनी और धीरे-धीरे अपने काम में और पॉलिश लाते गए. कुछ ही सालों में उनके जरिए बनाया गया ज्वेलरी लोगों को पसंद आने लगा. जिसके बाद उनकी ज्वेलरी की डिमांड बढ़ने लगी.
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स्टेट अवॉर्डी जॉन ने महिलाओं को रोजगार से जोड़ा:हैंडीक्रॉफ्ट की प्रतिभा ने जॉन को लोकप्रिय बना दिया.उन्हें स्टेट अवार्ड मिलने लगे. उसके बाद हर जगह जॉन की सराहना होने लगी. उनके इस यूनिक से आइटम की डिमांड भी बढ़ने लगी, जिसके बाद जॉन ने धीरे-धीरे करके अपने साथ लोगों को काम देना शुरू कर दिया. पहले उसको प्रशिक्षण दिया फिर उसके बाद जॉन ने उन महिलाओं को रोजगार का अवसर भी दिया. अब जॉन के साथ 15 महिलाएं काम करती हैं.
कितना समय लगता है:ज्वेलरी बनाने में कितना समय लगता है इस पर जॉन ने बताया कि किसी भी काम में समय तो लगता है. मोतियों की एक आभूषण बनाने में लगभग 20 से 25 दिन लग जाते हैं.
कितनी आती है लागत: मोतियों से बने आभूषण की बात करें तो जॉन ने बताया कि 200 से लेकर लागत चार हजार तक की लगात लग जाती है. जैसी ज्वेलरी होगी लागत भी उसी तरह की लग जाती है. सूरकुंड मेले में जॉन के स्टॉल में आई महिला ने बताया कि जॉन की ज्वेलरी बहुत अच्छी है. साथ ही उन्होंने जॉन के लगाए आभूषण की तारीफ भी की.
कमाई कितनी है: कमाई की बात करें तो जॉन ने अनुमानित रेट की जानकारी देते हुए कहा कि कम से कम एक दिन 50 से 60 हजार तक अर्निंग हो जाती है. ऐसा कोई जरूरी भी नहीं है कि हर दिन का अर्निंग रेट एक ही हो. कम ज्यादा भी होता रहता है.
जॉन आगे बताते हैं कि डिमांड इतनी है कि हम लोग मिलकर भी इसे पूरा नहीं कर सकते हैं. हमें और लोगों की जरूरत है. अब मुझे लोग जानने लगे हैं. अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा मुझे सम्मानित भी किया गया है. अब मेरे माता-पिता मेरे काम को और मेहनत को देखकर काफी खुश नजर आ रहे हैं. गौरतलब है कि सूरजकुंड मेले में अलग-अलग हैंडीक्राफ्ट देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि इस मेले में आए हुए पर्यटक भी इन ग्राफ को देखकर काफी खुश हैं और लोग जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं. ऐसे में जॉन भी काफी खुश हैं क्योंकि उनके स्टाल पर भी लोगों की भीड़ लगी रहती है.