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न पिता की मौत ने रोका, न चोट से हौसले टूटे, ये है पहलवान विनेश फोगाट के संघर्ष की कहानी

2018 में पहलवान सोमबीर राठी के साथ शादी करने वाली विनेश ने रेसलिंग नहीं छोड़ी. बल्कि ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना आज भी उनके दिल में बसा है. इसी कड़ी में वो यूक्रेन की राजधानी कीव में खूब पसीना बहा रही हैं.

charkhi dadari wrestler vinesh phogat
पहलवान विनेश फोगाट

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Published : Jan 15, 2020, 8:30 PM IST

Updated : Jan 15, 2020, 9:13 PM IST

चरखी दादरी: जुनून हो तो विनेश फोगाट जैसा, रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद करीब डेढ़ साल बिस्तर पर रही. फिर शानदार वापसी करते हुए विश्व चैंपियन में ऐसा दांव लगाया कि गोल्ड जीतकर सीधे टोक्यो ओलंपिक 2020 का टिकट पा लिया.

इस बहादुर बेटी ने पहले पिता की मौत का गम सहा और फिर रियो ओलंपिक में लगी चोट से जैसे जिंदगी ठहर सी गई. फिर भी चरखी दादरी की बहादुर बेटी का जज्बा कम नहीं हुआ और एशियन खेलों में महिला कुश्ती में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रचा दिया.

यूक्रेन में जारी है ओलंपिक की तैयारी

इतना ही नहीं विनेश विश्व चैंपियन बनने के साथ टोक्यो ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने के इरादे से अखाड़े में उतरेंगी. विनेश अब यूक्रेन की राजधानी कीव में ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं.

कहानी विनेश फोगाट की, देखें वीडियो

साल 2003 में हुआ था पिता का निधन
चरखी दादरी के गांव बलाली की रहने वाली विनेश फोगाट के पिता का साल 2003 में निधन हो गया था. पिता की मौत के बाद ताऊ द्रोणाचार्य अवॉर्डी महाबीर फोगाट ने विनेश और उसकी छोटी बहन को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ अखाड़े में उतारा.

ताऊ के विश्वास और गीता-बबीता से प्रेरणा लेते हुए विनेश फोगाट ने एशियन खेलों के साथ-साथ विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया. विनेश अपने परिवार और जिले के लोगों की उम्मीदों पर लगातार खरी उतरती रही हैं.

टोक्यो ओलंपिक 2020 की सीट पक्की
विनेश टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं. परिवार, क्षेत्र के लोग विनेश की इस उपलब्धि पर खुशी से झूम उठे. विनेश रियो ओलंपिक के दौरान चोटिल हुईं और जनवरी 2017 तक मैट पर नहीं उतर पाईं थी. फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और अपनी मेहनत के बलबूते 53 किलोग्राम की कैटेगरी में देश के लिए कई मेडल भी जीते.

2018 में की शादी
2018 में पहलवान सोमबीर राठी के साथ शादी करने वाली विनेश ने रेसलिंग नहीं छोड़ी. बल्कि ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना आज भी उनके दिल में बसा है. इसी कड़ी में वो यूक्रेन की राजधानी कीव में खूब पसीना बहा रही हैं.

अर्जुन अवॉर्डी हैं विनेश

विनेश फोगाट चोट लगने से पहले 48 किलोग्राम वर्ग में खेलती थी. साल 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में विनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग में उतरते हुए गोल्ड मेडल जीता. सरकार ने विनेश की प्रतिभा और उसके खेल को देखते हुए उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा. विनेश कॉमनवेल्थ गेम्स में दो गोल्ड और एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं.

महावीर फोगाट को विनेश पर भरोसा

बेटी की उपलब्धि पर ताऊ महावीर फोगाट ने बताया कि विनेश ने चोट से खूब लड़ाई लड़ी और देश के लिए कई मेडल जीते हैं. भाई हरविंद्र ने बताया कि विनेश और हमने महाबीर फोगाट को ही अपना पिता माना और उनके दिखाए मार्ग पर चले. ताऊ महावीर फोगाट को भी भरोसा है कि विनेश इस बार देश के लिए देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड जीतेगी.

सहेलियां विनेश की उपलब्धियों से खुश

विनेश की बचपन की सहेलियां कविता और सुनीता ने बताया कि वे पहली से आठवीं कक्षा तक साथ पढ़ी हैं. बचपन से ही विनेश का ध्यान खेलों पर रहा है. बड़ी बहन गीता और बबीता के कुश्ती के अखाड़े में उतरीं तो पहलवानी शुरू कर दी थी.

विनेश ने गीता और बबीता से भी बढ़कर अनेक मेडल जीते हैं और अब ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतकर लाएंगी. विनेश की मेहनत को सलाम करते हुए सहेलियों ने कहा कि विनेश विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बनकर उनके गांव व देश का नाम रोशन करेंगी. देश को उम्मीद है कि विनेश टोक्यो ओलंपिक 2020 में पदक जरूर लाएंगी.

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Last Updated : Jan 15, 2020, 9:13 PM IST

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