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चरखी दादरी: घर से 5 किमी. दूर स्कूल और परिवहन की कोई सुविधा नहीं, पसीने में लथपथ पैदल स्कूल पहुंचते हैं बच्चे - कपूरी गांव छात्र पैदल स्कूल

दादरी के गांव कपूरी में छात्रों को स्कूल जाने लिए काफी कठिन पड़ाव पार करने पड़ते हैं. गांव के स्कूल अपग्रेड न होने की वजह से छात्रों को अपने पैरों के दम पर पांच किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ रहा है. इन छात्रों के लिए इन छात्रों के राह से गुजरने वाली बसे भी नहीं रुकती है.

Students forced to walk five km to go to school in kapoori village of charkhi dadri
Students forced to walk five km to go to school in kapoori village of charkhi dadri

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Published : Mar 6, 2021, 2:16 PM IST

Updated : Mar 6, 2021, 2:57 PM IST

चरखी दादरी:जिले के कपूरी गांव के छात्रों को गांव का स्कूल अपग्रेड नहीं होने की वजह से छात्र-छात्राओं को अपना भविष्य संवारने के लिए पांच किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता है. कभी स्कूल में लेट तो कभी घर में लेट आने की चिंता सताती है. यहां से गुजरने वाली रोडवेज बसें नहीं रुकने का खामियाजा इस गांव के विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है. यहां हादसे का भी अंदेशा बना रहता है.

पैदल चलकर जाने को मजबूर छात्र

बता दें कि गांव कपूरी में पांचवीं कक्षा तक स्कूल है. पांचवीं के बाद गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए या तो पांच किलोमीटर दूर गांव मोड़ी या फिर 8 किलोमीटर दूर दादरी शहर में पढ़ने के लिए जाना पड़ता है. गांव से पांच सौ मीटर की दूरी पर स्थित बस स्टैंड पर रोडवेज बसें नहीं रुकती है. जिसकी जिसकी वजह से उन्हें पैदल जाना पड़ता है. इतना ही नहीं स्कूल में देरी से पहुंचने पर इन छात्रों को डांट भी खानी पड़ती हैं. कई बार तो बच्चों को जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचने पर विवश होना पड़ता है.

भविष्य संवारने के लिए पांच KM की दूरी पैदल नाप रहे छात्र, जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को विवश

पसीने से लथपथ होकर स्कूल पहुंचते है छात्र

ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को गांव मोड़ी तक की पांच किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है. ऐसे में सुबह और दोपहर के समय बच्चे पसीने से लथपथ होकर स्कूल और घर पहुंचते हैं. दूसरे गांव के स्कूलों में जाने से छात्राओं को ज्यादा परेशानियां झेलनी पड़ती है. ग्रामीणों ने बताया कि वाहनों की संख्या भी इन रूटों पर कम है और इसके चलते बच्चों को पैदल ही स्कूल पहुंचना पड़ता है.

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नहीं रुकती है बसें

स्कूल प्राइमरी तक होने के कारण काफी ग्रामीण अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजने को विवश हैं, जिसके चलते उन्हें भारी-भरकम फीस चुकानी पड़ती है. इस गांव में प्राइमरी स्कूल न होने के कारण अधिकांश बच्चे तो आगे पढ़ ही नहीं पाते. छात्रों ने बताया कि परिजनों को विश्वास में लेकर आगे की पढ़ाई करने जाते हैं. वहीं परिजनों ने बताया कि रोडवेज बसें नहीं रूकने के कारण ये बाइक, ट्रैक्टर या अन्य वाहनों में लिफ्ट लेकर स्कूल जाने को विवश है.

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परिवहन विभाग ने मामला संज्ञान में लिया

वहीं रोडवेज विभाग के जीएम रविश हुड्डा ने कहा कि स्कूली बच्चों को पैदल जाने व बसें नहीं रूकने की जानकारी अभी मिली है. डिपो के सभी चालकों व परिचालकों को सख्त निर्देश दे दिए हैं कि इस रूट के साथ-साथ अन्य रूटों पर जाने वाली सभी बसें स्कूली बच्चों को बैठाकर निर्धारित स्टैंड पर छोड़ेंगे. उन्होंने बताया कि भविष्य में जिले के किसी भी गांव से बच्चे पैदल स्कूल नहीं जाएंगे, इसके लिए व्यापक व पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं.

Last Updated : Mar 6, 2021, 2:57 PM IST

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