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चरखी दादरी में पीटीआई शिक्षकों ने किया प्रदर्शन, सरकार को दी चेतावनी - चरखी दादरी समाचार

शुक्रवार को हटाए गए पीटीआई टीचरों ने चरखी दादरी में अनशन दिया. हटाए गए पीटीआई टीचरों की मांग है कि उन्हें बहाल किया जाए नहीं तो वो प्रदेश भर में बड़ा आंदोलन करेंगे.

pti teachers protest
अनशन पर बैठे हटाए गए PTI टीचर

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Published : Jun 12, 2020, 5:55 PM IST

चरखी दादरी: शारीरिक शिक्षा संघ के आह्वान पर पीटीआई टीचरों ने शिक्षा कार्यालय के सामने अनशन कर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर उन्हें बेघर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे और इसे जन आंदोलन का रूप देंगे. साथ ही अल्टीमेटम दिया कि 15 जून से जिला स्तर पर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू करेंगे.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा सरकार द्वारा साल 2010 में लगाए पीटीआई टीचरों की भर्ती को रद्द कर कार्यभार मुक्त कर दिया गया. जिसको लेकर शारीरिक शिक्षा संघ के आह्वान पर हटाए गए पीटीआई टीचरों ने शिक्षा विभाग कार्यालय के समक्ष धरना देते हुए अनशन कर विरोध प्रदर्शन किया.

चरखी दादरी में पीटीआई शिक्षकों ने किया प्रदर्शन, क्लिक कर देखें वीडियो

प्रदर्शन की अगुवाई करते हुए संघ के जिलाध्यक्ष सज्जन शर्मा ने कहा कि सरकार ने उनको हटाकर घर से बेघर कर दिया. ऐसे में उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ गया है. अधिकांश टीचरों की उम्र भी 50 के पार हो गई है. उन्होंने सरकार से वापस नौकरी पर लेने की मांग की. साथ ही कहा कि अगर सरकार ने उनको नौकरी पर नहीं लिया तो 15 जून से जिला स्तर पर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू करते हुए जन आंदोलन का रूप देंगे.

इसके अलावा शारीरिक संघ बरोदा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी मैदान में उतारेगा और सरकार की जनविरोधी नीतियों के बारे में लोगों को अवगत करवाएगा. इस दौरान कई कर्मचारी संगठनों ने उनको समर्थन दिया और आंदोलन में हर सहयोग देने का आश्वासन दिया.

क्या है पूरा मामला ?

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.

याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.

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