चरखी दादरी: अपने घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहुंचे प्रवासी मजदूरों का दर्द छलक पड़. लॉकडाउन के दौरान अपने राज्यों में घरों तक पहुंचना चाह रहे प्रवासी श्रमिकों ने अपनी पीड़ा सुनाई. ये सभी रजिस्ट्रेशन करवाने चरखी दादरी बाजारों में आए थे.
'घर से कमाने आए थे, अब भूखे मरने की आई नौबत'
इनका कहना है कि कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने से उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ नहीं हो रहा है. वे अपने घर से यहां कुछ कमाने के लिए आए थे लेकिन लॉकडाउन लगने से उनके काम-धंधे बंद हो गए, जिन ठेकेदारों के पास रूके हुए थे, वहां राशन मिलना बंद हो गया. अब वे अपने राज्यों में जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाकर बसों का इंतजार कर रहे हैं.
आंखों में घर जाने की उम्मीद के साथ मजदूरों ने कहा कि 'साहब, काम-धंधे बंद हो गए तो ठेकेदारों ने निकाल दिया, यहां राशन नहीं मिल रहा है, हमें कोरोना का नहीं बल्कि भूख से मरने का डर सता रहा है. इससे तो अच्छा है कि घर पर जाकर ही मर जाएं. हम कैसे भी अपने घर जाना चाहते हैं, चाहे हमें पैदल ही क्यों ना जाना पड़े.'