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पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं दादरी के कई गांवों के लोग - चरखी दादरी जलघर समस्या

कोरोना महामारी के इस दौर में कई समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है जिसमें से पानी की किल्लत सबसे बड़ी समस्या है. इसी समस्या से चरखी दादरी के तीन गांवों के लोग भी परेशान हैं. गांव भैरवी, गांव भीड़ भैरवी और गांव चरखी के लोग पिछले एक महीने से पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं.

water crisis in charkhi dadri
charkhi dadri water problem

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Published : Jun 2, 2020, 8:14 PM IST

चरखी दादरी: 'साहब, कोरोना से ज्यादा हम पीने के पानी के संकट से परेशान हैं. भीषण गर्मी में पीने का पानी ही नसीब नहीं होगा तो हम कोरोना से पहले वैसे ही मर जाएंगे.' ये कहना है पानी की किल्लत से जूझ रहे गांव भैरवी, गांव भीड़ भैरवी और गांव चरखी के ग्रामीणों का. इन गांवों में सप्लाई देने वाले जलघर के हालात खराब हैं और पेयजल सप्लाई नहीं होने से यहां के लोगों को दूर-दूर तक पानी के लिए भटकना पड़ रहा है.

एक महीने से पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण

इन गांवों के लोगों का कहना है कि पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से गांवों में पानी नहीं आया है. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में लोग पहले से ही परेशान हैं और उसके ऊपर से पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. कोरोना से मरने से पहले हम इस भीषण गर्मी में पीने का पानी ना मिलने से ही मर जाएंगे.

गांव भैरवी, गांव भीड़ भैरवी और गांव चरखी के लोग पिछले एक महीने से पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं.

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बता दें कि, पेयजल आपूर्ति न होने पर यहां के लोगों को महंगे दामों पर टैंकर मंगवा कर काम चलाना पड़ रहा है. इसके अलावा कई लोगों द्वारा कैंपर भी मंगवाए जा रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि टैंकर और कैंपर मंगवाने से उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ-साथ अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा पानी की कमी से सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि जानवर भी परेशान हैं, उन्हें भी पानी नसीब नहीं हो रहा है.

जलघर के टैंक में पड़े हैं जानवरों के शव

वहीं पिछले करीब एक महीने से पेयजल की समस्या से जूझ रहे गांव भैरवी के लोगों का रविवार को सब्र बांध टूट गया और दर्जनों ग्रामीणों ने दादरी-लोहारू नेशनल हाईवे पर मटके फोड़कर अपना गुस्सा बयां किया. इन हालातों पर सरपंच निहाल सिंह का कहना है कि पेयजल की समस्या को लेकर अधिकारियों के साथ-साथ विधायक व मंत्री तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक इन गांवों की कोई सुध नहीं ली गई.

जलघर के टैंक सूख पड़े हैं, जिन टैंकों में कुछ पानी बचा है, उनमें जानवर मरे पड़े हैं और पशुओं की खाल पड़ी है. एक महीने से भी ज्यादा समय से पानी नहीं आया है. ऐसे में ग्रामीण पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. उस पर सितम ये कि अधिकारी सुनते नहीं और राजनेता सुध नहीं लेते. वहीं अब ग्रामीणों ने सरकार व अधिकारियों को अल्टीमेटम दिया है कि एक सप्ताह में समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे लॉकडाउन तो क्या किसी भी नियम को तोड़ते हुए जलघर पर ताला जड़कर रोड जाम करेंगे. अब देखना ये होगा कि इन गांवों में पानी की सप्लाई कब से शुरू होगी या फिर ये ग्रामीण ऐसे ही पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसते रहेंगे.

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