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चरखी दादरी: सेना ने वीर चक्र खजान सिंह की पत्नी को किया सम्मानित - Dadri martyr Khajan Singh honor ceremony

पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में थल सेना के वीर जवान स्वर्णिम विजय वर्ष ज्योति को लेकर गांव खेड़ी बूरा (चरखी दादरी) पहुंचे. यहां सेना अधिकारियों द्वारा वीर चक्र विजेता खजान सिंह की विधवा संतरा देवी को सम्मानित किया गया.

Veer Chakra Khajan Singh
Veer Chakra Khajan Singh

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Published : Jan 19, 2021, 8:33 PM IST

चरखी दादरी: सेना द्वारा 1971 में पाकिस्तान पर ऐतिहासिक जीत के 50 साल पूरे होने पर वीर सैनिकों और उनके परिवार के सम्मान में यात्रा निकाली जा रही है और सम्मान किया जा रहा है. इसी कड़ी में झज्जर के खेड़ी बूरा गांव में सेना अधिकारियों द्वारा वीर चक्र विजेता खजान सिंह की विधवा संतरा देवी को सम्मानित किया गया.

सम्मान समारोह के दौरान उनकी विधवा पत्नी ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि सरकार द्वारा शहीदों को सम्मान दिया जा रहा है, लेकिन उनको सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिली. बेटे को सरकारी नौकरी तो दूर गांव में उनकी याद में स्मारक तक नहीं बनाया गया है.

सेना ने वीर चक्र खजान सिंह की पत्नी को किया सम्मानित, देखें वीडियो

इस दौरान वाइस ऑफ डिफेंस एक्स सर्विस मैन सोसायटी राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबेदार मेजर जयपाल सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा देश की सेवा करने वाले सैनिकों के लिए कोई विशेष योजनाएं लागू नहीं की गई. यहां तक कि वीर चक्र विजेता स्व. खजान सिंह सांगवान के परिवार को सहायता देना तो दूर, गांव में स्मारक तक नहीं बनाया गया है.

पाकिस्तान के 12 टैंकों कर दिया था तहस-नहस

वीर चक्र पदक विजेता लेफ्टिनेंट स्व. खजान सिंह सांगवान ने पाकिस्तान के साथ 1971 की लड़ाई में 12 टैंकों को तहस-नहस करने अहम भूमिका निभाई थी. सेना ने खजान सिंह को वीर चक्र से सम्मानित किया था. गांव खेड़ी बूरा में सुखलाल और मोहरली देवी के घर 15 मार्च 1944 को खजान सिंह का जन्म हुआ और वर्ष 1988 में उनका निधन हुआ था. वो 1963 में सेना में भर्ती हुए थे.

वीर चक्र विजेता खजान सिंह.

वीर चक्र विजेता की पत्नी ने अपनी पीड़ा बयां की

वीर चक्र विजेता स्व. खजान सिंह की पत्नी संतरा देवी ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए बताया कि उनके पति ने पाकिस्तान सेना के छक्के छुड़ाते हुए वीर चक्र प्राप्त किया. ऐसे में सरकार द्वारा उनको कोई विशेष सहायता तक नहीं दी गई. उनका बेटे को नौकरी तो दूर गांव में स्मारक तक नहीं बनाया गया है. विधवा ने सरकार से परिवार के लिए सहायता करने की गुहार लगाई.

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